एक राष्ट्र-एक चुनाव की पटकथा की टेस्टिंग…कई राज्यों में बन सकती है हरियाणा जैसी स्थिति!
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सरकार और निर्वाचन आयोग के सूत्र बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर, हरियाणा सहित कई राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल इसी साल पूरा होना है. ऐसे में बीजेपी या इसकी अगुआई वाले एनडीए गठबंधन शासित राज्यों में कुछ महीने पहले ही चुनाव कराए जा सकते हैं. यह चुनाव साल 2029 में एक राष्ट्र-एक चुनाव की रणीनीति का लिटमेस टेस्ट है.
इस बार का चुनाव दशकों बाद अनोखा हो सकता है. यह इस मायने में कि लोकसभा चुनाव के साथ कम से कम आठ राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं. हरियाणा में हर पल बदलता घटनाक्रम अगले छह महीने के लिए काम चलाऊ सरकार बनाए जाने का संकेत दे रहा है.
सरकार और निर्वाचन आयोग के सूत्र बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर, हरियाणा सहित कई राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल इसी साल पूरा होना है. ऐसे में बीजेपी या इसकी अगुआई वाले एनडीए गठबंधन शासित राज्यों में कुछ महीने पहले ही चुनाव कराए जा सकते हैं.
बताते चलें कि पिछले कुछ लोकसभा चुनावों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की विधान सभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ होते रहे हैं. आजतक ने पहले भी ये आसार जताए थे कि इस बार इनके चारों के अलावा कुछ अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं.
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2029 में एक साथ हो सकते हैं लोकसभा-विधानसभा चुनाव
लिहाजा, इस बार परिदृश्य कुछ अलग है. एक राष्ट्र एक चुनाव नीति की बुनियाद का पत्थर रखा जा सकता है. इसकी पटकथा कई स्तर पर, कई चरणों में लिखी जा रही हैं. माना जा रहा है कि सरकार 2029 में लोकसभा से साथ ही विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवा सकती है.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.