उत्तर प्रदेश चुनाव: क्या योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ में घेर सकेगा विपक्ष
The Wire
गोरखपुर शहर सीट पर विपक्ष बेमन से चुनाव लड़ता रहा है. पिछले तीन दशक से सपा, कांग्रेस, बसपा के किसी भी नेता ने इस सीट को केंद्रित कर राजनीतिक कार्य नहीं किया, न ही इसे संघर्ष का क्षेत्र बनाया. हर चुनाव में इन दलों से नए प्रत्याशी आते रहे और चुनाव बाद गायब हो जाते रहे. इसी के चलते भाजपा यहां मज़बूत होती गई.
गोरखपुर: गोरखपुर शहर की सीट अब पूरे चुनाव में प्रदेश की सबसे चर्चित सीट बनने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद यहां से सभी विपक्ष दल ताकतवर चेहरा उतारने की कोशिश कर रहे हैं. आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर रावण के मैदान में आ जाने से इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
भाजपा गोरखपुर शहर सीट पर वर्ष 1989 से लगातार जीतती आ रही है. वर्ष 1989 के बाद से हुए आठ चुनावों में भाजपा प्रत्याशी ही विजयी हुए हैं.
वर्ष 1989 में भाजपा के शिव प्रताप शुक्ल ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को हराया था. सुनील शास्त्री 1980 और 1985 में गोरखपुर सीट से चुनाव जीते थे और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे थे. 1989 में चुनाव जीते शिव प्रताप शुक्ल उसके बाद 1991, 1993 और 1996 में भी चुनाव जीते. वे भाजपा सरकार में दो बार मंत्री भी रहे.
वर्ष 2002 के चुनाव के पहले उनकी योगी आदित्यनाथ से ठन गई. योगी आदित्यनाथ ने भाजपा पर दबाव बनाया गया कि शिव प्रताप शुक्ल को टिकट न दे. योगी की नाराजगी के बावजूद भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ल को ही उम्मीदवार बनाया. शिव प्रताप शुक्ल उस समय गोरखपुर की राजनीति में छाए हुए थे.