
उत्तर-दक्षिण को मिलाने वाली लव स्टोरीज को मिली है बड़ी सक्सेस, क्या 'परम सुंदरी' करेगी कमाल?
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सिद्धार्थ मल्होत्रा और जाह्नवी कपूर की 'परम सुंदरी' से पहले बॉलीवुड से नॉर्थ-साउथ वाली लव स्टोरीज पर बेस्ड कई फिल्में निकली हैं. जनता को प्रेम कहानी में ये एंगल इतना पसंद क्यों आता है? चलिए बताते हैं कि इस थीम पर बनी पिछली फिल्में कौन सी हैं और उनकी कामयाबी कैसी थी.
बड़े पर्दे पर कोई भी लव स्टोरी उतनी ही दमदार लगती है, जितनी बड़ी दीवार कहानी में प्रेमियों को गिरानी पड़ती है. सनी देओल और अमीषा पटेल की 'गदर- एक प्रेम कथा' इसीलिए यादगार थी क्योंकि इसमें दोनों लीड किरदार भारत-पाकिस्तान की सरहद लांघ जाते हैं. मगर प्रेम कहानियों में ये सरहद हमेशा अंतर्राष्ट्रीय सीमा ही नहीं होती.
अधिकतर बार ये ऐसी सीमाएं होती हैं जो दिखती तो नहीं हैं, मगर लोगों के मन में इसकी दीवारें बहुत ऊंची होती हैं. जाति, वर्ग और संस्कृति ऐसी ही कुछ दीवारें हैं जो अक्सर प्रेम कहानियों में विलेन का रोल करती हैं. अब सिद्धार्थ मल्होत्रा और जाह्नवी कपूर, फिल्म 'परम सुंदरी' में ऐसी ही एक दीवार लांघने जा रहे हैं. इस कहानी में जहां सिद्धार्थ का किरदार एक टिपिकल पंजाबी मुंडा है, वहीं जाह्नवी एक मलयाली सुंदरी के रोल में हैं.
'परम सुंदरी' का ट्रेलर बताता है कि दोनों किरदारों के कल्चर का अंतर, इनकी लव स्टोरी में विलेन का रोल करने वाला है. मगर ये पहली बार नहीं है जब बॉलीवुड फिल्म नॉर्थ-साउथ की दीवार पार करने वाली लव स्टोरी लेकर आ रही है. इससे पहले, बल्कि 80s के दौर से ही कई यादगार लव स्टोरीज इस नॉर्थ-साउथ की दीवार को लांघती रही हैं और जनता ने इन्हें बहुत पसंद भी किया है.
एक दूजे के लिए 1981 में आई बॉलीवुड लव स्टोरी 'एक दूजे के लिए' एक आइकॉनिक फिल्म थी. तमिल इंडस्ट्री में धमाका कर चुके कमल हासन ने इसी फिल्म से अपना हिंदी डेब्यू किया था. फिल्म में उनके साथ रति अग्निहोत्री थीं. तमिल लड़के का रोल कर रहे कमल हासन और उत्तर भारतीय लड़की बनीं रति की इस फिल्म को आज भी इसके बेहतरीन गानों के लिए याद किया जाता है. मगर उस समय ये फिल्म टेंशन भरी खबरें भी लेकर आई थी.
'एक दूजे के लिए' का अंत बहुत दुखद था और दोनों किरदार फिल्म के क्लाइमेक्स में आत्महत्या कर लेते हैं. पुरानी रिपोर्ट्स बताती हैं कि रियल लाइफ में कई प्रेमी जोड़ों ने ऐसा करने की कोशिश की थी और इस वजह से इस फिल्म की एंडिंग की काफी आलोचना हुई थी. हालांकि, अपने दौर में ये फिल्म एक बड़ी ब्लॉकबस्टर थी और लव स्टोरीज के मामले में ये फिल्म आज भी कल्ट मानी जाती है.
हम हैं राही प्यार के आमिर खान और जूही चावला की जोड़ी 'कयामत से कयामत तक' से ही जनता की फेवरेट बन गई थी. डायरेक्टर महेश भट्ट अपनी फिल्म 'हम हैं राही प्यार के' (1993) में इस जोड़ी को एक बार फिर से साथ लेकर आए. जूही ने फिल्म में तमिल लड़की वैजयंती का किरदार निभाया था. ये लड़की घर से इसलिए भाग जाती है क्योंकि उसके पिता उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी, अपनी ही कम्युनिटी के एक लड़के से करवाना चाहते हैं. घर से भागकर एक मेले में पहुंची वैजयंती की मुलाकात कुछ बच्चों से होती है, जो उसे अपने घर ले आते हैं और अपने मामा से छुपाकर रखते हैं.













