उइगर मुसलमानों पर हिंसा के मामले में क्यों संभलकर कदम रखता रहा तुर्की, क्या चुप्पी के बदले चीन से कोई फायदा मिल रहा है?
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चीन पर लगातार उइगर मुसलमानों पर हिंसा के आरोप लगते रहे. कथित तौर पर वे डिटेंशन कैंपों में कैद हैं, जहां पुरुषों की नसबंदी से लेकर महिलाओं से रेप जैसी खबरें आती रहती हैं. दुनिया के ज्यादातर देश चीन का विरोध करते रहे, सिवाय तुर्की के. हर इस्लामिक मुद्दे पर बोलते इस देश की उइगरों पर चुप्पी हैरान करती है.
तुर्की के राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर रेचेप तैय्यप एर्दोगन की जीत हुई. पिछले दो दशकों से लगातार बेहद लोकप्रिय इस नेता पर कई बार गंभीर आरोप भी लग चुके हैं, खासकर चीन में कैद उइगर मुस्लिमों को लेकर. कई रिपोर्ट्स यहां तक कहती हैं कि एर्दोगन वैसे तो मुस्लिमों देशों का खलीफा बनना चाहते हैं, लेकिन बीजिंग के मामले में वो हर कदम फूंककर रखते हैं. तो क्या तुर्की का बेहद लोकप्रिय ये लीडर चीन से डरता है? या कोई और बात है, जिसने उसे चुप रखा.
कहां रहते हैं उइगर?
ये समझने के लिए एक बार चीन में रहते उइगरों के बारे में जानते हैं. वहां के शिनजियांग प्रांत में 12 मिलियन से ज्यादा उइगर आबादी बसी हुई है. चीन का ये अकेला ऐसा हिस्सा है, जो मुस्लिम बहुल है. यही वजह है कि इसे शिनजियांग उइगर ऑटोनॉमस रीजन भी कहते हैं. लेकिन जगह का नाम भले उनके नाम से जुड़ा हो, इसके अलावा इस मुस्लिम समुदाय की कोई पहचान नहीं.
क्या हो रहा है उनके साथ?
तुर्क भाषा से मिलती-जुलती लैंग्वेज बोलने वाले ये सुन्नी मुसलमान यहां कपास की खेती में बंधुआ मजदूरी करते हैं. खेतों या कारखानों से लौटकर ये री-एजुकेशन कैंपों में ठूंस दिए जाते हैं. ये री-एजुकेशन कैंप असल में डिटेंशन कैंप हैं, जहां उइगरों को चीनी कल्चर, चीनी भाषा और चीनी खानपान की ट्रेनिंग दी जाती है. चीन का कहना है कि वो उइगरों के साथ मेल-मिलाप के लिए ऐसा कर रहा है. वहीं ह्यूमन राइट्स संस्थाओं का कहना है कि उइगरों के साथ जो हिंसा हो रही है, वो इस सदी की सबसे क्रूर हिंसा है.
12% एडल्ट आबादी जेलों में
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