
असली धुरंधर: जुर्म, सियासत और एनकाउंटर में मौत... ल्यारी के रहमान डकैत की पूरी कहानी
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जब से धुरंधर फिल्म आई है, रहमान डकैत का किरदार चर्चाओं में है. जिसे फिल्म में अक्षय खन्ना ने जीवित कर दिया है. रहमान डकैत के कुख्यात डॉन से PPP के सहयोगी बनने तक का सफर हैरान करने वाला है. और वैसी ही हैरान करने वाली थी उसकी मौत. जानें कराची अंडरवर्ल्ड के किंग रहमान डकैत की पूरी कहानी.
Lyari Gang Wars & Rahman Dakait Story: हाल ही में रिलीज़ बॉलीवुड फिल्म ‘धुरंधर’ ने कराची के अंडरवर्ल्ड का काला सच स्क्रीन पर उतार दिया. कराची के ल्यारी टाउन से पैदा होने वाला खौफ भी महसूस करा दिया. लेकिन सच यह है कि 'धुरंधर' की कहानी भी कराची के सबसे कुख्यात गैंगस्टर रहमान डकैत की असल दास्तान के सामने फीकी पड़ जाती है. क्योंकि रहमान डकैत की जिंदगी में फिल्म जैसा रोमांच नहीं, बल्कि खौफ और बगावत की खूनी हकीकत थी.
ल्यारी में रहमान डकैत सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि वो एक ऐसी ताकत था जिसने अपराध, राजनीति, बदले और पहचान की लड़ाई को कराची के दिल में कानून से भी बड़ा बना दिया था. पुलिस के लिए वो सिर्फ एक अपराधी नहीं, बल्कि वह चुनौती था जिसने पूरे शहर को दहला दिया था. उस दौर में ल्यारी के हालात इस कदर खराब थे कि कराची पुलिस ने एक फुल-स्केल ऑपरेशन चलाकर गैंगस्टर रहमान डकैत का खात्मा किया था, जिसकी दहशत दशकों तक ल्यारी के बच्चों की लोरियों में भी सुनाई देती थी.
कौन था रहमान डकैत? कुख्यात रहमान डकैत का असली नाम सरदार अब्दुल रहमान बलोच था. उसका जन्म 1975 में कराची के ल्यारी इलाके में हुआ था. उसके पिता दाद मुहम्मद और मां खदीजा बीबी एक गरीब बलोच परिवार से आते थे. ल्यारी, PPP का मजबूत गढ़ था, हमेशा से अपराध और गरीबी का केंद्र रहा. बचपन से ही रहमान को अपने परिवार की ड्रग तस्करी की दुनिया का सामना करना पड़ा. उनके पिता और चाचा शेरू 1964 से हेरोइन स्मगलिंग में लिप्त थे. यह परिवार अफशानी गली के कलाकोट में रहता था, जहां ड्रग नेटवर्क की जड़ें गहरी थीं. छोटी उम्र में ही रहमान ने देखा कि कैसे काला नाग जैसे प्रतिद्वंद्वी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए. ल्यारी की तंग गलियां उसके लिए जुर्म का पहला स्कूल बनीं.
जुर्म की विरासत रहमान के परिवार में अपराध कोई नई बात नहीं थी. उसके पिता दाद मुहम्मद ने 1960 के दशक में अफगानिस्तान से हेरोइन तस्करी शुरू की थी. चाचा शेरू के साथ मिलकर उन्होंने ल्यारी को ड्रग हब बना दिया. 1970 के दशक में भुट्टो सरकार के दौरान यह नेटवर्क फला-फूला. इसी दौरान दूसरा गैंग चलाने वाला काला नाग भी सामने आ गया. रहमान के परिवार पर हमला हुआ. लेकिन बाद में मामला उसकी मौत से संभल गया. रहमान डकैत दाद मुहम्मद की इकलौती औलाद था. जिसने बचपन में ही ड्रग पेडलिंग सीखी थी. गरीबी और जातीय बलोच पहचान ने उसे जुर्म की ओर धकेला. और जब ल्यारी में बलोच बिरादरी का समर्थन उसे मिला, तो वो स्थानीय हीरो बनकर उभरा. पिता और परिवार की विरासत ने ही रहमान को एक खूंखार अपराधी बना दिया था.
13 साल की उम्र किया था पहला जुर्म रहमान डकैत की आपराधिक यात्रा 13 साल की उम्र में शुरू हो गई थी. एक छोटे विवाद में उसने अपने पड़ोसी को चाकू मार दिया था. यह घटना ल्यारी की गलियों में सनसनी की तरह फैल गई थी. या यूं कहें कि खुद ही सनसनी बन गई थी. पुलिस ने उसे भागने तो दिया, लेकिन यह उसके लिए पहला सबक था. ड्रग बेचने की वजह से वो हिंसा की ओर मुड़ गया था. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, यह पड़ोसी पर चाकू से वार उसके पहले वायलेंट क्राइम के रूप में दर्ज है. ल्यारी के गैंग कल्चर में ऐसे कृत्य नौजवानों को स्टेटस देते थे. रहमान ने भागकर छिपने की कला सीखी थी. यह घटना उसके पिता की हत्या से जुड़ी थी, जब इकबाल उर्फ बाबू डकैत ने दाद मुहम्मद का कत्ल कर दिया था. उसी वक्त से रहमान बदले की आग में झुलस रहा था.
मां की हत्या का जुर्म 19 साल की उम्र में रहमान डकैत ने ऐसी वारदात को अंजाम दिया कि लोगों का दिल दहल गया था. उसने अपनी मां खदीजा बीबी की बेरहमी से हत्या कर दी थी. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने अपनी मां को गला घोंटकर मारा था और फिर छत के पंखे से लटका दिया था. इल्जाम ये था कि उसकी मां का किसी प्रतिद्वंद्वी गैंग मेंबर से संबंध था. यह घटना ल्यारी में किसी सदमे से कम नहीं थी. हालांकि पुलिस ने इसे घरेलू विवाद बताया था, लेकिन इस वारदात के बाद रहमान फरार हो गया था. मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार, यह क्राइम उसकी क्रूरता का प्रतीक बन गया था. उसका परिवार टूट चुका था, लेकिन रहमान के जुर्म का सफर तेज हो गया था. बलोच समुदाय में भी उसकी चर्चा होने लगी थी. इसी हत्याकांड उसे 'डकैत' का टाइटल दिलाया था.

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