असम-मिज़ोरम सीमा संबंधी विवाद के गंभीर स्थिति में पहुंचने का ज़िम्मेदार कौन है
The Wire
असम और मिज़ोरम की सीमा पर गोलीबारी जैसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी. इस बारे में दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयान अलग-अलग हैं. हालांकि इस तरह की झड़प को रोकने में गृह मंत्री अमित शाह की विफलता केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका पर सवाल उठाती है.
नई दिल्ली: 24 जुलाई को पूर्वोत्तर के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री ने जोर-शोर से घोषणा की थी कि नरेंद्र मोदी सरकार क्षेत्र के सभी सीमा संबंधी विवादों को सुलझाना चाहती है. उनके इस बयान को 48 घंटे भी नहीं बीते थे कि असम और मिजोरम की सीमा पर बनी हुई तनावपूर्ण स्थिति गंभीर हो गई और हिंसा में असम पुलिस के छह जवानों ने जान गंवा दी. असम पुलिस के चालीस से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. 26 जुलाई की शाम करीब पौने पांच बजे जब असम के कछार जिले के लैलापुर से सटे मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरंग्टे में हिंसा भड़की, ठीक उसी समय ट्विटर पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों- ज़ोरमथांगा और हिमंता बिस्वा शर्मा में जबानी जंग छिड़ी. संयोग से दोनों ही राज्यों के प्रमुख, जो भाजपा की अगुवाई वाली नॉर्थ ईस्टर्न डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) का हिस्सा हैं, ने शायद उन्हें बचाए जाने की आशा के साथ गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया. शर्मा ने एक वीडियो अपलोड करते हुए कहा कि मिजोरम पुलिस के कर्मचारियों की वजह से स्थितियां गंभीर हुईं. वीडियो क्लिप साझा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि असम पुलिस के जवानों को मारने के बाद ‘मिजोरम पुलिस और गुंडे जश्न मना रहे हैं.’ मृतक पुलिसकर्मियों की पहचान सब-इंस्पेक्टर स्वपन रॉय के साथ कॉन्स्टेबल लिटन सुक्लाबैद्य, एमएच बरभुइया, एन. हुसैन और एस. बरभुइया के रूप में की गई है. घायलों में कछार के एसपी और और आईजी भी शामिल हैं.More Related News