असमः 70 सालों से बुनियादी सुविधाओं से महरूम ज़िंदगी जीने को मजबूर है बेघर मिसिंग समुदाय
The Wire
असम के डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर दो गांवों में बसे राज्य के दूसरे सबसे बड़े जातीय समुदाय मिसिंग के क़रीब बारह हज़ार लोग लगभग सत्तर बरसों से बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पुनर्वास की उम्मीद लिए जी रहे हैं. राज्य में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इस समुदाय की दशा अब भी वैसी ही है.
डिब्रूगढ़ः असम के डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क के अंदर स्थित लाइका और दधिया गांवों में रहने वाले मिसिंग समुदाय के करीब 12 हजार लोग अब भी बिजली, पेयजल और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं. ये लोग 70 साल से बेघर हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण उन्हें यह पीड़ा झेलनी पड़ रही है. उम्र के चौथे दशक को पार कर चुके लाइका गांव के अरण्य कसारी का कहना है कि स्कूल तक पहुंचने के लिए उनके बच्चों को पहाड़ों पर मीलों चलना पड़ता है और एक नदी भी पार करनी पड़ती है. उनका कहना है कि यहां न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधा या पेयजल की आपूर्ति का भी कोई साधन नहीं है.More Related News