अयोध्या से सबक-काशी पर सतर्क... ज्ञानवापी मस्जिद बचाने का AIMPLB का प्लान
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अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह से देश की दूसरी मस्जिदों को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं गंवाना चाहता है. ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर मथुरा की ईदगाह और दिल्ली के कुतुबमीनार को बचाने के लिए खास प्लान बनाया है, जिसके तहत वो मुस्लिम पक्षकारों को कानूनी मदद देने से लेकर राजनीतिक दबाव तक बनाने का काम करेगा.
काशी की ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर मथुरा की ईदगाह और दिल्ली के कुतुबमीनार-जामा मस्जिद को लेकर सियासत तेज हो गई है. काशी-मथुरा का तो मामला अदालत के दहलीज तक पहुंच गया है. ऐसे में ज्ञानवापी मामले में भले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पक्षकार नहीं है, लेकिन अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह देश की दूसरी अन्य मस्जिदों को नहीं गंवाना चाहता है. ज्ञानवापी को बचाने के लिए AIMPLB ने प्लान बनाया है, जिसके तहत वो कानूनी लड़ाई लड़ने से लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मोर्चा खोलने की तैयारी में है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर मंगलवार को मौलाना राबे हसन नदवी के नेतृत्व में आपातकाली बैठक हुुई. इस बैठक में बोर्ड से जुड़े देशभर के 45 सदस्य शामिल हुए थे, जिसमें तय हुआ कि बाबरी मस्जिद की तरह देश की दूसरी मस्जिदों को हाथ से नहीं जाने देंगे, वो चाहे काशी की ज्ञानवापी मस्जिद हो या फिर मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद. इन तमाम मस्जिदों को बचाने के लिए AIMPLB मुस्लिम पक्ष के वकीलों को कानूनी मदद तो करेगा ही साथ में सरकार पर भी दबाव बनाने का काम करेगा.
सीधे तौर पर पक्षकार नहीं बनेगी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तय किया है कि काशी के ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर जिन भी मुस्लिम धार्मिक स्थल पर विवाद खड़े हो रहे हैं, उनमें से किसी भी मामले में सीधे तौर पर पक्षकार नहीं बनेगी. मस्लिम पक्ष के वकीलों के साथ पूरी शिद्दत से खड़ी रहेगा और उन्हें कानूनी लड़ाई में मदद भी करेगा. निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कानूनी लड़ाई के लिए मुस्लिम पक्ष को मदद के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक लीगल टीम बनाने का फैसला किया है, जिसमें देश के एक से बढ़कर एक वकीलों का पैनल होगा. इसके अलावा पूरे मामले में कानूनी सलाह के लिए एक पूर्व जस्टिस के अगुवाई में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की यह लीगल टीम ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर मथुरा, दिल्ली के कुतुबमीनार और जामा मस्जिद के लिए जो भी मुस्लिम पक्षकार है, उनके लिए इन धार्मिक स्थलों से जुड़े हुए तथ्यों को जुटाने से लेकर कानूनी मदद के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के बड़े से बड़े वकील को हायर करेगी और उन्हीं के सलाह पर कानूनी लड़ाई लड़ेगी.
राष्ट्रपति के जरिए बनाएगी सरकार पर दबाव आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने के लिए भी रणनीति बनाई है. बोर्ड के सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने की गुहार लगाएगा. इसके अलावा केंद्र सरकार के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों का रुख भी इस मुद्दे पर जानने की कोशिश करेगा.
1991 का पूजा स्थल कानून कहता है कि पूजा स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 में थी वही रहेगी. बोर्ड का मानन है कि इसके बाद भी एक के बाद एक मुस्लिम धर्म स्थलों पर निचली अदालतें, क्यों उसमें दखल दे रही हैं. ये सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है. सासंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी साफ कह चुके हैं कि ज्ञानवापी से लेकर मथुरा तक के मामले पूजा स्थल कानून के खिलाफ अदालत के द्वारा किए जा रहे हैं.
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