‘अमर जवान ज्योति’ का विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में किया जाएगा
The Wire
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। This government has no respect for democratic tradition & established convention, whether in parliament or out of it. The sanctity acquired after fifty years of the Amar Jawan Jyoti is being lightly snuffed out:https://t.co/d918XjfntF So everything must be reinvented post-2014?! The RSS in principle doesn't consider martyrdom as ideal but a fatal flaw. Here, excerpts from Golwalkar's "Bunch of Thoughts", which has now been taken down from their website. The names of all Indian martyrs from all the wars, including 1971 and wars before and after it are housed at the National War Memorial. Hence it is a true shraddhanjali to have the flame paying tribute to martyrs there. 3/n
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति एक स्मारक है, जिसमें संगमरमर की एक चौकी पर राइफल के ऊपर एक सैनिक की हेलमेट को रखा गया है. कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे! — Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 21, 2022 This explains why the Modi Govt is extinguishing Amar Jawan Jyoti today, after half a century. pic.twitter.com/FvY34NZSwy — Sambit Patra (@sambitswaraj) January 21, 2022
सेना के अधिकारियों ने बताया कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय किया जाएगा, जो कि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022 — Mallikarjun Kharge (@kharge) January 21, 2022
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह देखकर विचित्र लगता है कि अमर जवान ज्योति की लौ 1971 एवं दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए है, लेकिन इनमें से किसी का नाम वहां मौजूद नहीं है.