![Som Pradosh Vrat 2022: आज है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202211/collage_maker-20-nov-2022-02.49-pm-sixteen_nine.jpg)
Som Pradosh Vrat 2022: आज है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व
AajTak
Som Pradosh Vrat 2022: आज है इस महीने का दूसरा और मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत. इस दिन शिव परिवार का पूजन किया जाता है. दक्षिण भारत में प्रदोष को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष का ये प्रदोष व्रत इतना खास क्यों है.
Som Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस बार प्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022 यानी आज के दिन रखा जा रहा है. यह मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के लिए रखा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है.
ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर हर मनोकामना पूरी होती है. हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन, इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है. दक्षिण भारत में प्रदोष को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है.
सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2022 Shubh Muhurat)
उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 21 नवंबर यानी आज रखा जा रहा है. प्रदोष व्रत की शुरुआत 21 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 22 नवंबर को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगा. शिव पूजन का समय आज शाम 05 बजकर 34 मिनट से मिनट से लेकर रात 08 बजकर 14 मिनट रहेगा.
सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि (Som Pradosh Vrat 2022 Pujan Vidhi)
प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं. स्नान आदि करने के बाद आप साफ़ वस्त्र पहन लें. उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है. पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान कर लें और सफ़ेद रंग का वस्त्र धारण करें.
![](/newspic/picid-1269750-20240616132839.jpg)
Ganga Dussehra 2024: हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है और गंगा दशहरा को गंगावतरण भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. साथ ही, इसी दिन भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी.