
Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर हमले का खामियाजा, रूस की सरकार पर अमेरिका का सीधा एक्शन, पुतिन-आर्मी चीफ की संपत्ति फ्रीज
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Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अब दुनियाभर में इसकी आलोचना हो रही है. इसे लेकर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बाद अमेरिका भी एक्शन मोड में आ गया है. लिहाजा बाइडेन प्रशासन की ओर से ऐलान किया गया है कि वह भी अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री लावरोव की संपत्ति फ्रीज करेगा.
Russia-Ukraine War: Russia-Ukraine War: यूरोपीय संघ (European Union) और ब्रिटेन (Britain) की ओर से रूस पर लगाई गई पाबंदियों के बाद अब अमेरिका भी एक्शन मोड में आ गया है. लिहाजा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने ऐलान किया है कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) और आर्मी चीफ की संपत्तियों को जब्त (freeze) कर दी है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.









