
Pakistan में ईशनिंदा की भेंट चढ़ा एक और शख्स, पुलिस स्टेशन में घुसी भीड़, पीट-पीटकर मार डाला
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पाकिस्तान में फिर एक शख्स ईशनिंदा की भेंट चढ़ गया. भीड़ में शामिल लोग पुलिस थाने में घुसे और युवक को पीट-पीटकर मार डाला. मामला ननकाना साहिब इलाके का है.
पाकिस्तान में फिर एक शख्स ईशनिंदा की भेंट चढ़ गया. भीड़ में शामिल लोग पुलिस थाने में घुसे और युवक को पीट-पीटकर मार डाला. मामला ननकाना साहिब इलाके का है. एजेंसी के मुताबिक भीड़ के हाथों मारे गए शख्स पर कुरान का अपमान करने का आरोप था.
घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें नजर आ रहा है कि किस तरह भीड़ पुलिस स्टेशन के अंदर घुसने के लिए दरवाजे को तोड़ देती है. दरवाजा तोड़ने के बाद उपद्रवी पुलिस स्टेशन पर धावा बोल देते हैं. भीड़ उसे पुलिस स्टेशन से बाहर निकालती है, उसके कपड़े उतारती है और उसे पकड़कर सड़क पर ले आती है. इसके बाद उपद्रवी लाठी डंडों से पीट-पीटकर शख्स को मार डालते हैं.
घटना लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर ननकाना साहिब के वारबर्टन पुलिस स्टेशन में हुई. मारे गए शख्स का नाम वारिस इसा बताया जा रहा है. पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर ने ईशनिंदा के मामले में शख्स की मौत पर दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. पुलिस ने बयान जारी कर बताया है कि ननकाना साहिब सर्कल के पुलिस उपाधीक्षक नवाज वारक और वारबर्टन स्टेशन हाउस ऑफिसर फिरोज भट्टी को निलंबित कर दिया है.
पाकिस्तानी मीडिया जियो न्यूज के मुताबिक मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ शख्स दो साल जेल में बिताने के बाद लौटा था. वह जादू-टोना करता था और कुरान पर अपनी पूर्व पत्नी की तस्वीर चिपकाता था. घटना के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
शहबाज शरीफ ने यह भी सवाल उठाया कि पुलिस हिंसक भीड़ को रोकने में विफल क्यों रही. उन्होंने जोर देकर कहा कि कानून का शासन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. किसी को भी कानून को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों के बाद किसी की हत्या का यह पहला केस नहीं है. इससे पहले दिसंबर 2021 में पंजाब के सियालकोट शहर में भीड़ ने एक श्रीलंकाई मूल के शख्स को बुरी तरह से पीट-पीटकर मार डाला था. वह शख्स पाकिस्तान के कारखाने में मैनेजर के रूप में काम करता था. इस घटना की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना भी हुई थी.

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