Kasganj Assembly Seat: 3 विधानसभा सीटों का जातिगत समीकरण, 2022 में किस करवट बैठेगा ऊंट?
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Kasganj Assembly Seat: कासगंज विधानसभा क्षेत्र जनसंघ+बीजेपी का प्रमुख गढ़ बन गया, जहां सर्वाधिक 6 बार बीजेपी विधायक नेतराम सिंह वर्मा रहे. उसके बाद इस क्षेत्र के पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक मानपाल सिंह जनता के चहेते रहे. इन्होंने कांग्रेस, सपा में रहकर अपना परचम लहराया.
Kasganj Assembly Seat: काली नदी और भगीरथी गंगा के बीचों-बीच बसा जनपद कासगंज पहले एटा जिले का मुख्य भाग था. समाजवादी पार्टी के शासन में साल 2008 में कासगंज को नया जनपद बनाया गया और फिर इस जनपद क्षेत्र के हिस्से में तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल किए गए, जिसमें कासगंज, अमांपुर और पटियाली विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. अमांपुर विधानसभा क्षेत्र पहले सोरों विधानसभा क्षेत्र में शामिल था, लेकिन बीते कुछ वर्षों पहले परिसीमन में सोरों विधानसभा क्षेत्र को समाप्त कर अमांपुर विधानसभा सृजित की गई और सोरों को कासगंज विधानसभा में शामिल कर दिया गया.
Ratan Tata: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था. उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट कार्यक्रम पूरा किया. उनके पिता नवल टाटा एक सफल उद्योगपति थे और उन्होंने टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं रतन टाटा की मां सोनी टाटा एक गृहिणी थीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने तीन प्रमुख बिंदुओं के साथ सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा हिंदुओं को जातियों में विभाजित किया है, लेकिन मुसलमानों की जातियों पर कभी ध्यान नहीं दिया. मोदी ने पूछा कि आखिर कांग्रेस कभी मुसलमानों की जातियों का जिक्र क्यों नहीं करती? देखिए VIDEO
हरियामा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और चुनाव के नतीजों पर आपत्ति जताई है. बैठक के बाद पवन खेड़ा ने कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग से उन वोटिंग मशीनों को सील करने की मांग की है, जिनके खिलाफ उन्होंने शिकायत दर्ज कराई है. खेड़ा ने कहा कि हम अगले 48 घंटों में और शिकायत भेजेंगे.
कांग्रेस ने हरियाणा में अपने वोट शेयर में उल्लेखनीय सुधार किया है. लेकिन भाजपा के वोट शेयर में भी 2019 के मुकाबले 3% की बढ़ोतरी देखी गई है. महाराष्ट्र में भी भाजपा अपने वोट बेस को बनाए रखने में कामयाब रही है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में इसमें मामूली 1.7% की गिरावट देखी गई है. इसलिए वोट शेयर में बढ़ोतरी के बावजूद कांग्रेस को राज्य में भाजपा के वोट बरकरार रहने से सावधान रहना होगा.
हरियाणा चुनाव में बीजेपी ने बूथ-स्तरीय रणनीति और शानदार चुनाव प्रबंधन के जरिए कांग्रेस को करारी शिकस्त दी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने जाट बनाम गैर-जाट की राजनीति से ऊपर उठकर जातिगत ध्रुवीकरण को तोड़ते हुए जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस का जाति-आधारित राजनीति पर अधिक निर्भर रहना उसकी हार का कारण बना.