Judiciary: देशद्रोह कानून की सुप्रीम समीक्षा करेगी सात जजों की पीठ
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आरोप लगाया जा रहा है कि देशद्रोह कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसे देखते हुए अब बड़ा मसला ये हो गया है कि देशद्रोह कानून की वैधता का मामला 7 जजों की संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं?
राजद्रोह कानून को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब मंगलवार को सुनवाई होगी, जिसके लिए दोपहर दो बजे का वक्त तय किया गया है. सभी पक्षकारों को शनिवार तक लिखित दलील देनी है. जबकि भारत सरकार सोमवार की सुबह तक अपना जवाब दाखिल करेगी.
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मुख्य सवाल ये है कि केदारनाथ सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला सही था या नहीं. केदार नाथ सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इसके दुरुपयोग के दायरे को सीमित करने का प्रयास किया था.
अदालत ने माना था कि जब तक हिंसा के लिए उकसाने या ललकारने या फिर आह्वान नहीं किया जाता, तब तक सरकार देशद्रोह का मामला दर्ज नहीं कर सकती. केदारनाथ सिंह बनाम भारत सरकार मामले में आए फैसले ने उन स्थितियों को बेहद सीमित कर दिया था जिनमें राजद्रोह या देशद्रोह की धाराओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.
लेकिन अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसे देखते हुए अब बड़ा मसला ये हो गया है कि देशद्रोह कानून की वैधता का मामला 7 जजों की संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं?
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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जवाब दाखिल करने के लिए अदालत ने सरकार को उचित समय दे दिया है. सीजेआई ने कहा कि 9 महीने पहले ही नोटिस जारी किया गया था. दूसरी याचिकाओं को अलग-अलग बेंच से एक साथ लाया गया. इतने वक्त मे भी जवाब दाखिल नहीं हुआ!
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