IAS Success Story: बचपन में पिता को खोया, मां ने मेहनत-मजदूरी करके पढ़ाया, IPS के बाद IAS अफसर बन गई बेटी
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IAS Success Story: 'वायरल गर्ल' कही जा रही महेंद्रगढ़ हरियाणा के गांव की बेटी दिव्या तंवर की जिंदगी से हर स्त्री को सीखना चाहिए. आप मां की भूमिका में हों या बेटी की, दोनों भूमिकाओं में अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, एक लक्ष्य बनाकर मेहनत करते हैं तो हालात की हर रुकावट को पार कर सकते हैं. आइए- जानें IPS दिव्या तंवर की कहानी, जिन्हें यूपीएससी 2023 में मिली है ऑल इंडिया 105वीं रैंक...
UPSC Success Story IAS: गांव में एक छोटे से कमरे में जहां चार लोग रहते थे. संसाधन के नाम पर न लैपटॉप, न आई फोन न कोई वाई फाई कनेक्शन. न कोचिंग में देने की मोटी-मोटी फीस ही थी. लेकिन दिव्या ने अपने स्कूल में एक एसडीएम को देखकर तय कर लिया था कि मैं अपनी मम्मी के लिए वही रुतबा, शोहरत हासिल करूंगी जो एक अफसर की मां को मिलते होंगे. दिव्या ने पिता के जाने के बाद तीन बच्चों की परवरिश करने वाली मां के लिए सच में यह करके दिखा दिया.
दिव्या अपने इंटरव्यू में बताती हैं कि जब मैं आठ नौ साल की थी तो पिता का साया सिर से उठ गया था. बहुत गरीबी और तंगहाली में जीवन बीता. मैं जब भी पढ़ती थी, अपनी मम्मी को दिमाग में रखकर पढती थी कि उन्हें प्राउड फील कराना है. उन्हें यहां से निकालना है.
कैसे देखा IAS बनने का सपना दिव्या ने कहा कि जब मैं स्कूल में थी तो अनुअल फंक्शन था एसडीएम सर चीफ गेस्ट बनकर आए थे. उनका रुतबा देखा, उन्होंने स्पीच दिया, इतनी इज्जत मिली तो सोचा कि मुझे भी एसडीएम बनना है. कॉलेज गई तो यूपीएससी का पता चला. फिर मैंने यूपीएससी की वेबसाइट से सिलेबस देखा.
कैसे की घर में रहकर तैयारी दिव्या ने बताया कि मैंने सिलेबस देखा, पैटर्न देखा और तैयारी शुरू कर दी. जब स्ट्रगल होते हैं तो दिमाग में ज्यादा प्रेशर होते हैं. मैंने उन हालातों में हमेशा पॉजिटिव एटीट्यूड रखाा, सोच लिया था कि निकालना है तो उसी एक कमरे में तैयारी की. मां के साथ साथ बहन भाई ने सपोर्ट किया. कभी घर का काम नहीं करना पड़ा. फंक्शन होता था तो मैं कहीं और जैसे मौसी के घर चली जाती थी.
तैयारी की स्ट्रेटजी इस फील्ड में तो आसपास रिलेटिव या सीनियर कोई था नहीं. दिव्या ने तैारी के बारे में बस गूगल यूट्यूब से देखा. दिव्या बताती हैं कि पांचवीं तक गांव में पढ़ी, फिर पांचवीं में नवोदय में सेलेक्शन हो गया. उसके बाद 12वीं के बाद सरकारी पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. फीस और किताबों के खर्च के लिए गांव के मनु स्कूल में दो तीन घंटे पढ़ाती थी. घर में ट्यूशन पढ़ाया. मैंने टॉपर्स के जो इंटरव्यू देखे थे, उनकी सुझाई किताबें खरीदीं. एनसीईआरटी की किताबों से तैयार की. प्रीवियस इयर पेपर देखे, टेस्ट सीरीज ज्वाइन की. मेरी स्ट्रेटजी में पहला लेशन यही था कि घबराना नहीं है परेशानियों से, आज नहीं तो कल, मेहनत बेकार नहीं जाती.
बता दें कि दिव्या का यह दूसरा प्रयास था, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 उनका पहला प्रयास था. पिछली बार उनकी 438वीं रैंक थी और उन्हें आईपीएस रैंक मिली थी. उन्हें मणिपुर कैडर अलॉट हुआ था. उन्होंने बेहतर रैंक लाकर आईएएस पाने के लिए तैयारी जारी रखी. मेहनत रंग लाई और अब यूपीएससी परीक्षा 2022 के रिजल्ट में उन्हें 105वीं रैंक मिली है.

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