G20 Summit: संस्कृति ही नहीं, साइंस भी समाया है कोणार्क चक्र में, जिसे PM मोदी ने वैश्विक नेताओं को दिखाया
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PM नरेंद्र मोदी जिस पहिए के सामने खड़े होकर G20 Summit के मेहमानों का स्वागत कर रहे थे. उसका सिर्फ धार्मिक या आस्था से जुड़ा हुआ महत्व नहीं है. वह वैज्ञानिक भी है. वह यह बताता है कि सूरज कब उगता है. कब अस्त होता है. कब कौन सा समय चल रहा है. वह असल में एक प्राचीन घड़ी है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
कोणार्क का सूर्य मंदिर अपनी पथरीली कलाकृतियों के लिए जाना जाता है. असल में यह मंदिर सूर्य के विशालकाय रथ की तरह बनाया गया है. जिसे सात घोड़े खींचते हैं. इस रथ में 12 जोड़े पहिए लगे हैं. यानी कुल मिलाकर 24 पहिए. हर पहिए पर शानदार नक्काशी है. लेकिन ये पहिए हमारी जीवनचर्या से संबंधित कई वैज्ञानिक बातें बताते हैं.
ये पहिए बताते हैं कि कैसे पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से चलती है. यहां मौजूद हर पहिए का व्यास यानी डायमीटर 9.9 फीट है. हर पहिए में आठ मोटी और आठ पतली तीलियां हैं. ये पहिए कोणार्क के सूर्य मंदिर जाने वाले लोगों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहे हैं. अब ये मंदिर खास क्यों है. ये पहिए जरूरी क्यों हैं. ये समझिए.
सात घोड़े यानी हफ्ते के सात दिन. 12 पहिये यानी साल के बारह महीने. जबकि इनका जोड़ा यानी 24 पहिए मतलब दिन का 24 घंटा. इसके अलावा 8 मोटी तीलियां 8 प्रहर यानी हर तीन घंटे के समय को दर्शाती हैं. असल में इन पहियों को जीवन का पहिया (Wheel of Life) कहा जाता है. इसमें यह भी पता चलता है कि सूर्य कब उगेगा, कब अस्त होगा. इस पहिए को 13वीं सदी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम ने बनवाया था.
8 मोटी तीलियां और 8 पतली तीलियां मतलब...
हर पहिए में 8 मोटी तीलियां हैं. 8 पतली तीलियां हैं. हर तीली के बीच में 30 दाने बनाए गए हैं. हर दाना तीन मिनट का समय बताता है. जो तीन घंटे का समय बताते हैं. यानी 180 मिनट. हर मोटी तीलियों के बीच में मौजूद पतली तीली डेढ़ घंटे का समय बताती हैं. यानी 90 मिनट. बीचों-बीच ऊपर की तरफ जो मोटी तीली है, वो रात के 12 बजे का समय बताती है.
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