G20 summit: अच्छा हुआ जो शी जिनपिंग भारत नहीं आये
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शी जिनपिंग ने G20 सम्मेलन से दूरी बनाकर चीन का जो नुकसान किया वो तो अलग ही है, भारत को बड़ा फायदा पहुंचा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो अब आगे बढ़ कर सीधे सीधे श्रेय ले सकते हैं कि भारत की मेजबानी में हुए जी20 सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को बतौर सदस्य शामिल किया गया.
G20 सम्मेलन में शामिल न होने वाले दुनिया के जिन नेताओं का जिक्र हो रहा है, उनमें दो ही प्रमुख नाम हैं - रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग. ऐसे में जबकि दोनों देशों से भारत के अलग तरह के रिश्ते हैं, दोनों के न आने का असर भी अलग ही होगा.
अगर व्लादिमिर पुतिन भारत दौरे पर आये होते तो रूस और यूक्रेन युद्ध बातचीत का एक मुद्दा होता ही. बहुत सारी बातें उसी के इर्द गिर्द होतीं. यूक्रेन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी चर्चाओं के दायरे में आ जाते.
रूस का तो बिलकुल अलग मामला है, लेकिन जो बाइडेन चीनी नेतृत्व से भी खफा बताये जाते हैं. अमेरिकी अधिकारी पहले ही बता चुके हैं कि शी जिनपिंग की जगह जी20 सम्मेलन में हिस्सा ले रहे चीन के प्रधानमंत्री से मिलने का उनका कोई प्लान नहीं है.
जी20 आयोजन की तमाम उपलब्धियों के बीच भारत के पास एक चीज का श्रेय लेने का भी बड़ा मौका मिला है - जी20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल किये जाने का.
असल में चीन काफी समय से ग्लोबल साउथ का नेता बनने के लिए भारत से होड़ लगा रहा है. भौगोलिक खांचे से इतर हट कर देखें तो भारत और चीन के साथ साथ ब्राजील और अफ्रीका को मिलाकर ग्लोबल साउथ माना जाता है.
अफ्रीकी मुल्कों में चीन की कारोबारी दिलचस्पी है, और इसीलिए जी20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल किये जाने का सपोर्ट करने के साथ साथ पहल की भी क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहा है - लेकिन ये तो दुनिया को भी पता है कि अफ्रीका में चीन का मकसद भारत से कितना अलग है.
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