G20 में भारत की राह का रोड़ा बने रूस-चीन क्यों एक सुर में भारत का बचाव भी कर रहे हैं?
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भारत के लिए जी20 शिखर सम्मेलन के अंत में एक साझा बयान जारी कर पाना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि रूस और चीन की आपत्तियों के कारण जी20 की पिछली सभी बैठकों में साझा बयान जारी नहीं हो पाया है. जहां एक तरफ रूस-चीन जी20 में भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के खिलाफ भारत के पक्ष में मजबूती से खड़े भी हो रहे हैं.
G20 मेजबानी को लेकर भारत ने विशाल आयोजन किया है जिसे पूरी दुनिया देख रही है. लेकिन इस आयोजन को पूरी तरह सफल तभी माना जाएगा जब भारत सम्मेलन के अंत में सभी देशों को विभिन्न मुद्दों पर राजी कर संयुक्त बयान जारी करा पाएगा. रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है और ऐसे में बातचीत के एजेंडे से यूक्रेन के मुद्दे को दूर रख पाना भारत के लिए लगभग असंभव होने वाला है. रूस और चीन ने जी20 की पिछली बैठकों में रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े हिस्से पर आपत्ति जताकर संयुक्त बयान जारी करने में अड़ंगा डाल दिया था.
पुतिन-जिनपिंग का जी20 बैठक में शामिल न होना
जी20 बैठक में न तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आए और न ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग. अगर ये दोनों राष्ट्राध्यक्ष जी20 बैठक के लिए भारत आते तो भारत के लिए ये बड़ी सफलता मानी जाती. जी20 दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है जिसमें चीन और रूस काफी अहम देश माने जाते हैं.
चीन अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगर चीनी राष्ट्रपति भारत आते तो सबसे बड़े आर्थिक गठबंधन का भारत का यह आयोजन सफल माना जाता. राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल ही में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे लेकिन उन्होंने जी20 के लिए भारत नहीं आना चुना. जिनपिंग की जगह चीन के प्रीमियर लि कियांग शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं.
वहीं, रूस भी दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. पुतिन ने भारत न आने का फैसला कर अपने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को भारत भेजा है. अगर पुतिन आते तो भारत के लिए बड़ी सफलता माना जाती और भारत दुनिया के सामने अपनी एक मजबूत तस्वीर पेश कर पाता कि गंभीर मतभेदों के बावजूद भी वो दुनिया के सभी बड़े नेताओं के एक मंच पर लाने में सक्षम है.
जी20 में भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करते रूस-चीन
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गाजा में इजरायली सुरक्षाबलों और हमास के बीच संघर्ष जारी है. इसी बीच हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों में फिलिस्तीनियों की मौत की संख्या बढ़कर 36,731 हो गई है, जबकि 83,530 लोग घायल हो गए हैं. मंत्रालय ने यह भी बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान इजरायली सुरक्षाबलों के हमलों में 77 लोगों की मौत हो गई.