
G-20 की सफलता देख चिढ़ा पाकिस्तान, यूरोप पर भड़क गए बिलावल भुट्टो
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जी-20 के सदस्य देश सऊदी अरब, तुर्की और चीन को छोड़ दें तो बाकी 17 देश कश्मीर में आयोजित हो रही जी-20 की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. कश्मीर में G-20 की बैठक की सफलता देख भड़के बिलावल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अल्पकालिक हितों के लिए कश्मीर के मुद्दे पर आंख नहीं मूंदनी चाहिए.
G-20 Kashmir Meeting: कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीन दिवसीय बैठक शुरू हुई जिसकी चर्चा जोरों पर है. पाकिस्तान ने लाख कोशिश की कि सदस्य देश कश्मीर में आयोजित बैठक में हिस्सा न लें, लेकिन दो-चार देश को छोड़कर सभी इसमें शामिल हो रहे हैं. इसे लेकर पाकिस्तान बौखला गया है और अब बैठक में शामिल हो रहे देशों की आलोचना पर उतर आया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर में 'भारत की बर्बरता' पर आंख मूंद ली है.
सोमवार को पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में बिलावल भुट्टो ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में भारत की बर्बरता पर आंख मूंद ली गई है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, 'अल्पकालिक हितों के लिए हमेशा से चले आ रहे सिद्धांतों का बलिदान करना बुद्धिमानी नहीं है.'
बिलावल ने भड़ास निकालते हुए कहा, 'आज मैं दुनिया से पूछता हूं कि क्या किसी देश को संयुक्त राष्ट्र की अपनी प्रतिबद्धताओं से मुकरने की अनुमति दी जा सकती है, खुद किए वादों को तोड़ने और अंतरराष्ट्रीय कानून का खुलेआम उल्लंघन करने की अनुमति सिर्फ इसलिए दी जा सकती है क्योंकि वो देश ऐसा चाहता है. मुझे यहां यह कहना ही चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत हमारी प्रतिबद्धताएं पवित्र हैं. वे न तो किसी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल की सनक के अनुसार बदलते हैं और न ही समय बीतने के साथ कमजोर पड़ते हैं.'
'भारत का अहंकार दिख रहा'
बिलावल ने आगे कहा कि भारत कश्मीर में बैठक की मेजबानी करने जी-20 अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है. उन्होंने कहा, 'यह विश्व के मंच पर भारत के अहंकार का एक और प्रदर्शन है.'
श्रीनगर में आयोजित बैठक में 29 देशों के 61 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पहला बड़ा ग्लोबल इवेंट है. इसके जरिए भारत दुनिया को दिखाना चाहता है कि अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू-कश्मीर में कितना विकास हुआ है.

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