
CAA पर सवाल उठा रहे पश्चिमी देशों को विदेशमंत्री जयशंकर ने दिखाया आईना, गिनाए उनके कानून
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CAA को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन पर अमेरिका की टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका और पश्चिमी देशों को आईना दिखाते हुए जयशंकर ने कहा कि समस्या तब होती है जब लोग अपनी नीतियों को ही आईने में नहीं देखते हैं.
India Today Conclave 2024: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीएए पर सवाल उठा रहे पश्चिमी देशों को आईना दिखाया है. भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी की ओर से सीएए पर की गई टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि भारत कोई पहला देश नहीं है जो इस तरह का कोई बिल लाया है. दुनिया में इस तरह के कानून के बहुत सारे उदाहरण हैं.
उन्होंने आगे कहा, "मैं उनके (अमेरिकी) लोकतंत्र में दोष पर सवाल नहीं उठा रहा हूं. या उनके सिद्धांत या अन्य चीजों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं. मैं उनके उस समझ पर सवाल उठा रहा हूं, जो हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ है. अगर आपके पास जानकारी नहीं है तो आप कहेंगे कि भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं. वो समस्याएं पैदा ही नहीं हुई जिसे सीएए कानून में एड्रेस किया गया है. अगर आप कोई प्रॉब्लम को लेते हैं और उसमें से ऐतिहासिक प्रसंग को मिटाकर, उसे सेनेटाइज कर राजनीतिक सुधार का तर्क बनाएं और फिर आप कहें कि मेरे पास सिद्धांत है और आपके पास सिद्धांत नहीं है."
हमारे पास भी सिद्धांतः विदेश मंत्री जयशंकर
उन्होंने आगे कहा कि हमारा भी अपना सिद्धांत है. इन्ही सिद्धांतों में से हमारा एक सिद्धांत विभाजन के समय लोगों के प्रति हमारा दायित्व था जिसे पूरा किया गया. गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसको विस्तार से बताया है.
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि मेरी एक समस्या यह भी है जब आप अपनी नीतियों को ही आईने में नहीं देखते हैं. मैं इसका कई उदाहरण दे सकता हूं. क्या आपने Jackson–Vanik amendment के बारे में सुना है? जिसके तहत अमेरिका में यहूदी को प्रवेश की अनुमति दी गई. आप खुद से ही सवाल करें कि सिर्फ यहूदी ही क्यों? इसके अलावा लॉटेनबर्ग संशोधन भी इसका उदाहरण है. जिसके तहत तीन देशों के अल्पसंख्यकों के एक समूह को शरणार्थी का दर्जा दिया और अंततः नागरिकता दी गई. इसमें क्रिश्चियन और यहूदी प्रमुख थे. इसके अलावा specter amendment भी इसका उदाहरण है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि अगर आप हमसे सवाल पूछ रहे हैं तो क्या अन्य लोकतात्रिक देशों ने विभिन्न मापदंडों पर इस तरह का फैसला नहीं लिया है? मैं इसका कई उदाहरण दे सकता हूं. अगर आप यूरोप को देखेंगे तो कई यूरोपीय देश उन लोगों की नागरिकता देने के लिए फास्ट ट्रैक अपनाते हैं जो विश्व युद्ध में कहीं छूट गए थे. कुछ केस में तो विश्व युद्ध से पहले का भी उदाहरण है. दुनिया में इस तरह के कानून के बहुत सारे उदाहरण हैं.

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