
Buddha Purnima 2025: क्या है इंसान की असली कीमत? बुद्ध की इस कहानी में छिपा है जवाब
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Buddha Purnima 2025: गौतम बुद्ध को भारत के महानतम संतों और आध्यात्मिक गुरुओं में स्थान प्राप्त है. उन्होंने सत्य, अहिंसा, शांति और करुणा का संदेश देकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दिया. उनके जीवन से जुड़ी कई कहानियाँ आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं.
Buddha Purnima 2025: आज बुद्ध पूर्णिमा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है. यह दिन भगवान बुद्ध को समर्पित है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. गौतम बुद्ध को भारत के महानतम संतों और आध्यात्मिक गुरुओं में स्थान प्राप्त है. उन्होंने सत्य, अहिंसा, शांति और करुणा का संदेश देकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दिया. उनके जीवन से जुड़ी कई कहानियां आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं.
ऐसी ही एक कहानी में बुद्ध ने यह समझाया कि किसी व्यक्ति का मूल्य कैसे और कौन तय करता है. इस कहानी में छिपा संदेश हर व्यक्ति के आत्मबोध के लिए महत्वपूर्ण है.
एक व्यक्ति महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा और पूछा, "प्रभु, मेरा जीवन क्यों मिला है? और इस दुनिया में मेरी क्या कीमत है?" बुद्ध ने उस व्यक्ति को जवाब देने के बजाय एक पत्थर थमाया और कहा, "पहले इस पत्थर की कीमत जानकर आओ. लेकिन ध्यान रहे, इसे बेचना नहीं, सिर्फ पूछना है और वापस लेकर आना है." व्यक्ति बाजार गया और सबसे पहले एक फलवाले से पत्थर की कीमत पूछी. फलवाले ने कहा कि पत्थर उसके किसी काम का नहीं है, लेकिन उसकी चमक देखकर वह इसके बदले 10 आम दे सकता है.
इसके बाद व्यक्ति एक सब्जीवाले के पास गया. उसने कहा, "मैं इसके बदले एक बोरी आलू दे सकता हूं." व्यक्ति को आश्चर्य हुआ कि हर कोई अलग-अलग मूल्य बता रहा है. वह अंत में एक हीरे के व्यापारी के पास गया. व्यापारी ने पत्थर देखते ही कहा, "यह तो दुर्लभ और कीमती रत्न है. मैं इसके बदले 10 लाख रुपये दे सकता हूं." व्यक्ति जैसे ही जाने लगा, व्यापारी पीछे से चिल्लाया, "रुको! मैं इसके 50 लाख रुपये भी देने को तैयार हूं."
फिर भी व्यक्ति नहीं रुका और सीधा महात्मा बुद्ध के पास लौट आया. उसने पूरी घटना बुद्ध को बताई और फिर वही सवाल दोहराया, "अब आप बताइए, मेरी क्या कीमत है?" बुद्ध मुस्कराए और बोले, "हर किसी ने उस पत्थर की कीमत अपनी समझ के अनुसार लगाई. लेकिन असल में पत्थर की असली कीमत वही जानता है, जो उसकी पहचान रखता है."
बुद्ध ने आगे कहा, "ठीक इसी तरह, तुम्हारा मूल्य भी हर कोई नहीं जान सकता. हर इंसान के भीतर कोई न कोई अनमोल गुण छिपा होता है. तुम्हें बस उसे पहचानने और तराशने की जरूरत है." व्यक्ति का मूल्य बाहरी दुनिया तय नहीं करती, बल्कि स्वयं की पहचान और आत्मविश्वास ही उसकी असली कीमत होती है.

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