75 सालों में लगभग खत्म हो जाएगा नए बच्चों का जन्म, क्या इंसानों के गायब होने की शुरुआत है ये?
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फ्रांस में जन्मदर तेजी से कम हो रही है. साल 2023 में वहां बर्थरेट उतने नीचे चला गया, जितना दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान था. हर हजार पर 6.39 जन्मदर वाले फ्रांस को लेकर डर जताया जा रहा है कि ये जल्द ही खत्म हो जाएगा. यही हाल चीन, जापान, साउथ कोरिया और अमेरिका का भी है. लेकिन साइंस का डर इससे भी खौफनाक है.
फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड इकनॉमिक स्टडीज ने मंगलवार को बताया कि उनके यहां पूरे साल में करीब पौने 7 लाख बच्चों का ही जन्म हुआ है. करीब 2 दशक से इस यूरोपियन देश की जन्मदर घट ही रही है, जहां रीप्रोडक्टिव उम्र की हर महिला 2 से भी कम बच्चों को जन्म दे रही है. वैसे यूरोपियन यूनियन समेत दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों की स्थिति इससे भी खराब है.
रिसर्च में क्या पता लगा
प्यू रिसर्च सेंटर का कहना है कि 2100 तक दुनिया की आबादी करीब 11 बिलियन हो जाएगी, लेकिन इसी दौरान जन्मदर में इतनी तेजी से गिरावट आएगी कि नए बच्चों का जन्म अंगुलियों पर गिना जा सकेगा. तब बर्थरेट 0.1% बची रहेगी. जिस तरह के दबाव में आजकल के युवा जी रहे हैं, बहुत मुमकिन है कि जन्मदर घटते हुए रुक ही जाए. फिर कोई नया बच्चा दुनिया में नहीं आएगा. जो आबादी होगी, वहीं ठहरी रहेगी. इस दौरान लगातार वो बदलाव होंगे, जिनके बारे में हमने कभी सोचा तक नहीं.
ये स्थिति एक तरह का बेबी-बैन है इंसान इसमें कुछ सालों या मान लीजिए 5 दशक के लिए संतान-जन्म से तौबा कर लें, इसके बाद जो होगा, वो किसी ने भी नहीं सोचा होगा. हमारी प्रजाति मतलब होमो सेपियंस धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी. लोग या तो बूढ़े होंगे, या कम बूढ़े होंगे. यहां तक कि हम दुनिया से पूरी तरह से गायब हो जाएंगे.
पहले से ही खतरे की जद में इंसान विज्ञान का भी यही मानना है कि इंसान हमेशा के लिए धरती पर नहीं. पॉपुलेशन दर कम होने के अलावा इसकी एक वजह और भी है. हमारे यानी होमो सेपियंस के जेनेटिक वेरिएशन बहुत कम हैं. आनुवंशिक विविधता का मतलब है कि एक ही स्पीशीज के लोगों के जीन्स में बदलाव. इसके कारण ही जीवों में भिन्न-भिन्न नस्लें देखने में आती हैं.