![4 साल में 281 मौतें... आखिर कब तक बोरवेल में गिरकर मरते रहेंगे बच्चे? UP-राजस्थान टॉप पर](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202306/borwell_2_0-sixteen_nine.jpg)
4 साल में 281 मौतें... आखिर कब तक बोरवेल में गिरकर मरते रहेंगे बच्चे? UP-राजस्थान टॉप पर
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खेत में खुले पड़े बोरवेल में गिरने से हर साल औसतन 50-60 लोगों की मौत हो जाती है. इन मामलों पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में निर्देश जारी किए थे. इसके बावजूद बोरवेल में गिरने से मौत के मामले कम नहीं हो सके. एनसीआरबी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार साल में देशभर में 281 लोगों की मौत बोरवेल में गिरकर हुई है.
मध्यप्रदेश के सीहोर में तीन साल की मासूम सृष्टि जिंदगी की जंग हार गई. सृष्टि मंगलवार को खेलते खेलते 300 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. यह बोरवेल खेत में खुला पड़ा था. सृष्टि 50 घंटे चले रेस्क्यू के बाद जब उसे निकाला गया, तो वह दम तोड़ चुकी थी. सृष्टि के रेस्क्यू में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रोबोटिक टीम शामिल थी. लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका.
इससे पहले 2 जून को गुजरात के जामनगर में बोरवेल में दो साल की बच्ची गिर गई थी. बच्ची 20 फीट गहराई में फंसी थी, उसे बचाने के लिए सेना समेत विभिन्न एजेंसियों ने 19 घंटे तक रेस्क्यू चलाया, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसी तरह पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश के बैतूल में 8 साल के तन्मय की बोरवेल में गिरकर मौत हो गई थी. 84 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद तन्मय को बोरवेल से तो बाहर निकाल लिया गया था, लेकिन जिंदा नहीं मृत.
हर साल देशभर से बोरवेल में बच्चों के गिरने के कई मामले सामने आते हैं, जिनमें से अधिकांश की बोरवेल के भीतर ही दम घुटकर मौत हो जाती है. सृष्टि हो या तन्मय, इन बच्चों की मौत प्रशासन से लेकर परिजनों तक पर कई सवाल खड़े करती है. सवाल यह है कि आखिर बार-बार होते ऐसे हादसों के बावजूद देश में कब तक बोरवेल या ट्यूबवेल के गड्ढे खुले छोड़े जाते रहेंगे और कब तब मासूम जानें इनमें गिरकर दम तोड़ती रहेंगी. आखिर कब तक मासूमों की जिंदगी से ऐसा खिलवाड़ होता रहेगा?
खेत में खुले पड़े बोरवेल में मौत के मामलों पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में निर्देश जारी किए थे. इसके बावजूद बोरवेल में गिरने से मौत के मामले कम नहीं हो सके. एनसीआरबी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार साल में देशभर में 281 लोगों की मौत बोरवेल में गिरकर हुई है.
जहां कही भी बोरवेल में कोई बच्चा फंसता है, सेना से लेकर एनडीआरएफ की टीमें तेजी दिखाते हुए रेस्क्यू में जुट जाती हैं. कई घंटों तक रेस्क्यू चलता है, कुछ एक बार तो सफलता मिल जाती है, लेकिन अधिकांश बार बच्चों की मौत के बाद रेस्क्यू विफल हो जाता है.
जिस राज्य में बोरवेल में बच्चा गिरने का हादसा होता है, वहां हादसे के बाद प्रशासन जाग जाता है और बोरवेल खुला छोड़ने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर सख्ती दिखाने की कोशिश करता है. लेकिन जमीन पर कुछ खास नजर नहीं आता. महीने-दो महीने में फिर किसी न किसी राज्य से बोरवेल में बच्चे गिरने की खबर सामने आ जाती है.
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