24 घंटे में 45 एयरक्राफ्ट और 6 नौसैनिक जहाजों से घेराबंदी... ताइवान को बार-बार क्यों डराता है चीन?
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ताइवान का दावा है कि बीते 24 घंटों में उनकी हवाई सीमा में चीन के 45 एयरक्राफ्ट और छह नौसैनिक जहाजों को देखा गया है. ताइवान सरकार ने जारी बयान में कहा कि चीन के एयरक्राफ्ट ने ताइवान स्ट्रेट की मीडियन लाइन को पार किया है. वह मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
चीन और ताइवान के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस बीच ताइवान ने शी जिनपिंग सरकार पर आरोप लगाया है कि चीन के 45 मिलिट्री एयरक्राप्ट उनकी हवाई सीमा में डिटेक्ट किए गए हैं.
ताइवान का दावा है कि बीते 24 घंटों में उनकी हवाई सीमा में चीन के 45 एयरक्राफ्ट और छह नौसैनिक जहाजों को देखा गया है. ताइवान सरकार ने जारी बयान में कहा कि चीन के एयरक्राफ्ट ने ताइवान स्ट्रेट की मीडियन लाइन को पार किया है. वह मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
बता दें कि ताइवान की सीमा के आसपास समय-समय पर चीन के सैन्य विमान और नौसैनिक जहाज देखे जाते रहे हैं. इससे पहले मई की शुरुआत में भी चीन के सात सैन्य विमान ताइवान की हवाई सीमा में नजर आए थे.
ताइवान को क्यों डराता है चीन? ताइवान चीन के दक्षिण पूर्वी तट से 100 मील यानी लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित छोटा सा द्वीप है. इस पर कभी चीन का ही कब्जा हुआ करता था. उस समय इसे फरमोसा द्वीप कहा जाता था. 1949 से चीन और ताइवान अलग-अलग है. इससे पहले ताइवान और चीन एक ही हुआ करते थे. लेकिन कम्युनिस्टों की सरकार आने के बाद कॉमिंगतांग की पार्टी के लोग भागकर ताइवान आ गए.
1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना'. दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. लेकिन, चीन दावा करता है कि ताइवान भी उसका ही हिस्सा है. चीन और ताइवान में अक्सर जंग जैसे हालात बन जाते हैं.
चीन, ताइवान को कब्जाने की कोशिश करता है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि चीन भले ही जंग की कितनी ही धमकी क्यों न दे, लेकिन उसके लिए ताइवान पर हमला कर पाना उतना आसान नहीं होगा. इसकी तीन बड़ी वजह है. पहली तो ये कि ताइवान चारों ओर से समुद्र से घिरा है. वहां के मौसम का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. वहां के पहाड़ और समुद्री तट उबड़-खाबड़ हैं. लिहाजा उसके इलाके में घुस पाना आसान बात नहीं है.
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