
'1970 के दशक में स्वागत है', रूस-यूक्रेन युद्ध से टूटी इस यूरोपीय देश की कमर, महंगाई ने तोड़ा दशकों का रिकॉर्ड
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रूस-यूक्रेन युद्ध का जर्मनी में व्यापक असर देखा जा रहा है. युद्ध के कारण यूरोपीय देश में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं. जर्मनी में लोगों को बढ़ी हुई महंगाई का दुष्प्रभाव झेलना पड़ रहा है. लोग कह रहे हैं कि 1970 की महंगाई वाला दशक फिर लौट आया है.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोप के सबसे अमीर देशों में से एक जर्मनी की कमर तोड़ दी है. जर्मनी में मुद्रास्फीति ने पिछले 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जर्मनी में प्राकृतिक गैस और तेल पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं. अमीर देश पिछले कई दशकों में अब तक के सबसे खराब महंगाई संकट से जूझ रहा है.
जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि इस साल उपभोक्ता कीमतों की मुद्रास्फीति 7.6% रही है. फरवरी में ये 5.5% थी लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से इसमें तेज गति से उछाल देखा गया है. मुद्रास्फीति में ये उछाल इसलिए आया क्योंकि कंपनियों ने ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि कर दी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जर्मनी की मुद्रास्फीति पर एक सर्वेक्षण किया था जिसमें विश्लेषकों ने CPI दर (National Consumer Price Index) के 6.3% तक बढ़ने की उम्मीद की थी. लेकिन ये आंकड़ा अब पीछे छूट चुका है.
लैंड्सबैंक बाडेन-वुर्टेमबर्ग बैंक के जेन्स-ओलिवर निकलाश ने कहा कि महंगाई ने 1970 के दशक की याद दिला दी है. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, '1970 के दशक में आपका स्वागत है! जहां तक खाने-पीने के सामानों, जरूरी वस्तुओं और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी की बात है, हम उसी दशक में पहुंच गए हैं.'
जर्मनी की KGW बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री फ्रिट्ज़ी कोहलर-गीब ने कहा कि यूरोपीय संघ के पास नियमों को और कड़ा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.
वीपी बैंक के थॉमस गिट्ज़ेल ने कहा, 'यदि अभी यूरोप के मुद्रा नियामक कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो ये एक बड़ा जोखिम उठाने के बराबर होगा. बाद में उन्हें और अधिक कठोर कदम अचानक के उठाने पड़ सकते हैं. अमेरिका के केंद्रीय बैंक को 1980 के दशक में यहीं दर्दनाक अनुभव झेलना पड़ा था.'

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