हैदराबाद गैंगरेप-हत्या के चार आरोपियों की मौत के लिए 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस चले: आयोग
The Wire
साल 2019 को हैदराबाद में 26 साल की महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनकी कुछ दिन बाद पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुलिसकर्मियों ने ‘जान-बूझकर’ गोली चलाई थी और पुलिस द्वारा रखा गया पूरा पक्ष ‘मनगढ़ंत’ व ‘अविश्वसनीय’ था.
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले आयोग ने सिफारिश की कि एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या (धारा 302) का मुकदमा चलना चाहिए, क्योंकि उनमें से प्रत्येक द्वारा की गई कार्रवाई का साझा मकसद संदिग्धों को मारना था. यह नहीं कहा जा सकता है कि पुलिस दल ने आत्मरक्षा में या मृतक संदिग्धों को फिर से गिरफ्तार करने के प्रयास में गोलीबारी की. रिकॉर्ड से पता चलता है कि सेफ हाउस से लेकर चटनपल्ली की घटना तक की पुलिस पार्टी का पूरा बयान मनगढ़ंत है. मृतक संदिग्धों के लिए पुलिस के हथियार छीनना नामुमकिन था और वे हथियारों का संचालन नहीं कर सकते थे. इसलिए पुलिस का पूरा बयान अविश्वसनीय है.
आयोग ने यह भी पाया कि पुलिस ने जान-बूझकर इस तथ्य को दबाने का प्रयास किया है कि एनकाउंटर में मारे गए बलात्कार और हत्या के आरोपियों में से कम से कम तीन नाबालिग थे, जिनमें से दो 15 साल के थे.
आयोग में जस्टिस रेखा पी. सोंदूर बलदोटा और डॉ. डीआर कार्तिकेयन भी शामिल थे.
आयोग की ओर से कहा गया: