हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन श्रीचंद परमानंद का 87 वर्ष की उम्र में निधन, लंदन में ली आखिरी सांस
AajTak
हिंदुजा ग्रुप ब्रिटेन के अमीर कारोबारी घरानों में से एक है. सन 1971 में ग्रुप के संस्थापक परमानंद हिंदुजा के निधन के बाद उनके बेटों ने कारोबार को संभाला. श्रीचंद चार भाइयों में सबसे बड़े थे. उनके अन्य भाई गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हैं, जो हिंदुजा ग्रुप के मालिक हैं. इन चारों भाइयों को हिंदुजा ब्रदर्स के नाम से भी जाना जाता है.
हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन श्रीचंद परमानंद हिंदुजा का बुधवार को निधन हो गया. 87 साल की उम्र में उन्होंने लंदन में अंतिम सांस ली. उनके रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों ने न्यूज एजेंसी से इसी पुष्टि की है. SP हिंदुजा काफी समय से बीमार चल रहे थे. जानकारी के मुताबिक वे डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी से पीड़ित थे. इससे पहले इसी साल 6 जनवरी को उनकी पत्नी मधु का निधन हुआ था. उनकी दो बेटियां हैं.
दरअसल, हिंदुजा ग्रुप ब्रिटेन के अमीर कारोबारी घरानों में से एक है. सन 1971 में ग्रुप के संस्थापक परमानंद हिंदुजा के निधन के बाद उनके बेटों ने कारोबार को संभाला. इनकी प्रमुख कंपनियों में अशोक लीलैंड, गल्फ ऑयल, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा टीएमटी, हिंदुजा बैंक स्विट्जरलैंड, इंडसइंड बैंक, हिंदुजा वेंचर्स, इंडसइंड मीडिया एंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड हैं. करीब 40 देशों में इनका कारोबार है.
चार भाइयों में सबसे बड़े थे श्रीचंद
बता दें कि श्रीचंद चार भाइयों में सबसे बड़े थे. उनके अन्य भाई गोपीचंद, प्रकाश और अशोक हैं, जो हिंदुजा ग्रुप के मालिक हैं. इन चारों भाइयों को हिंदुजा ब्रदर्स के नाम से भी जाना जाता है. इनके ग्रुप के व्यवसाय ट्रक और स्नेहक से लेकर बैंकिंग और केबल टेलीविजन तक हैं. भाइयों के पास लंदन में मूल्यवान अचल संपत्ति है, जिसमें व्हाइटहॉल में ऐतिहासिक ओल्ड वॉर ऑफिस भवन भी शामिल है. शाही ठाठ बाट हिंदुजा परिवार कथित तौर पर मध्य लंदन में 30 करोड़ पाउंड की कीमत वाले भवन में रहता है, जो सेंट जेम्स पार्क के सामने बकिंघम पैलेस के बगल में है.
1914 में हुई हिंदुजा ग्रुप की स्थापना
इस कंपनी की स्थापना 1914 में परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी, जो भारत में स्थित एक सिंधी परिवार से थे. चारों भाइयों में श्रीचंद और गोपीचंद लंदन में रह रहे थे. वहीं प्रकाश मोनाको में रहते हैं, जबकि सबसे छोटे भाई अशोक मुंबई से भारतीय कंपनी की देखरेख करते हैं. जून 2020 में, यूके की एक अदालत ने जिनेवा बैंक के स्वामित्व को लेकर अपने तीन छोटे भाइयों के साथ सबसे बड़े श्रीचंद के बीच विवाद का खुलासा किया था.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







