हिंदी पत्रकारिता दिवस: कब, कहां और कैसे हुआ था हिंदी पत्रकारिता का उदय
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195 साल पहले हिंदी पत्रकारिता का अखबार उंदत मार्तण्ड कलकत्ता से आज ही के दिन प्रकाशित हुआ था आइए जानें इसका इतिहास
नई दिल्ली: आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है. आज से 195 साल पहले 30 मई, 1826 को कलकत्ता(कोलकाता) में 'उदंत मार्तण्ड' नामक साप्ताहिक अखबार की शुरुआत हुई. कानपुर से कलकत्ता में सक्रिय वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस अखबार की नींव रखी. वो हिंदुस्तानियों के हित में उनकी भाषा में अखबार निकालना चाहते थे. 79 अंक ही हो सके प्रकाशित उदंत मार्तंड का अर्थ होता है उगता सूरज. हिंदी पत्रकारिता का सूरज पहली बार कलकत्ता के बड़ा बाजार के करीब 37, अमर तल्ला लेन, कोलूटोला में उदित हुआ था. यह अखबार पाठकों तक हर मंगलवार पहुंचता था. इसकी शुरुआत 500 प्रतियों के साथ हुई थी.Swati Maliwal: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी, जिनमें दावा किया गया था कि पार्टी चाहती थी कि वह अपनी राज्यसभा सदस्यता छोड़ दे ताकि उसे एक 'विशेष वकील' को दिया जा सके. इस पर उन्होंने कहा, अगर पार्टी चाहती कि वह राज्यसभा सदस्यता छोड़ दें तो वह खुशी-खुशी इसे छोड़ देतीं.
Pune Porsche Crash: पुणे के पोर्श कार हादसे मामले में ट्विस्ट आया है. अब 17 साल के नाबालिग आरोपी ने दावा किया है कि घटना के समय वह कार नहीं चला रहा था बल्कि फैमिली ड्राइवर चला रहा था. हादसे के समय आरोपी के साथ मौजूद उसके साथियों ने भी इस दावे का समर्थन किया है. वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले और शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने दावा किया कि आरोपी को पुलिस स्टेशन में पिज्जा की पेशकश की गई.
West Bengal Violence: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से पहले नंदीग्राम में बुधवार की रात हिंसा भड़क उठी. इससे राज्य की सियासत गरमा गई है. यह घटना पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम विधानसभा के ब्लॉक नंबर एक के सोनचूरा गांव के मनसा बाजार की है. बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने कई भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों में घुसकर धारदार हथियारों से हमला किया.
Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना में बदलाव हो सकते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेना एक आंतरिक सर्वे करा रही है. इस सर्वे में सामने आने वाले निष्कर्षों को देखते हुए आगे योजना में बदलाव को लेकर सरकार से सिफारिश की जा सकती है. हालांकि अभी इस संबंध में सेना या सरकार की ओर से कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.