
हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस और राज्यों के सीएम के सम्मेलन को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री!
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सम्मेलन का आयोजन कार्यपालिका और न्यायपालिका के जरिए न्याय को सरल और सुविधाजनक बनाने की रूपरेखा तैयार करने के लिए किया जा रहा है. इसमें न्याय प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे. यह कार्यक्रम पूरे 6 साल के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण भी शामिल रहेंगे. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को CJI रमण और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी संबोधित करेंगे.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर बताया कि सम्मेलन कार्यपालिका और न्यायपालिका के जरिए न्याय को सरल और सुविधाजनक बनाने की रूपरेखा तैयार करने के लिए आयोजित किया जा रहा है. इसमें न्याय प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की जाएगी.
इससे पहले यह सत्र 24 अप्रैल 2016 को आयोजित किया गया था. PMO के मुताबिक तब से लेकर अब तक सरकार ने 'ईकोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट' के तहत अदालती प्रक्रियाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए कई पहल की हैं.
सम्मेलन में योगी उत्तर प्रदेश आदित्यनाथ, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई सहित कई मुख्यमंत्रियों शामिल होंगे. सम्मेलन के एजेंडे में CJI एनवी रमणा ने 'अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास' के प्रस्ताव को शामिल करने के लिए कहा था, जिसे एजेंडा का हिस्सा बनाया गया है.
इसके अलावा एजेंडे में मुख्य तौर पर अदालतों में रिक्त पद भरना, मामलों की पेंडेंसी में कमी, कानूनी सहायता सेवाएं, भविष्य का रोड मैप, ई-कोर्ट चरण तीन की कल्पना सहित कई मुद्दे शामिल हैं. उद्घाटन के बाद, कई सत्र आयोजित किए जाएंगे. यहां मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एजेंडों पर चर्चा कर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे.
बता दें कि आमतौर पर इस तरह के सम्मेलन हर 2 साल में होते हैं. लेकिन शनिवार को होने वाला सम्मेलन अप्रैल 2016 के 6 साल बाद आयोजित किया जा रहा है. इससे पहले इसे 2015 और 2013 को भी आयोजित किया गया था. बता दें कि CJI रमणा ने कुछ महीने पहले अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण (NJIAI) की स्थापना का प्रस्ताव सरकार को भेजा था.

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