
सोवियत संघ से अलग हुआ देश बेलारूस क्यों बार-बार रूस की मदद करने पहुंच जाता है, रिश्ते में क्यों नहीं है भारत-पाक जैसी कड़वाहट?
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कुछ दिनों पहले रूस ने परमाणु हथियारों की बड़ी खेप बेलारूस भेजी. यूक्रेन के साथ-साथ ये पश्चिमी देशों को चेतावनी थी कि अगर वे जरा भी आक्रामक हुए तो रूस तबाही मचा देगा. अब बेलारूस एक बार फिर चर्चा में है. इसके राष्ट्रपति ने पुतिन का तख्तापलट करने पर तुले सैन्य समूह को राजी कर लिया कि वे चुपचाप बैठ जाएं. अब यहां सवाल ये है कि रूस का नाम लेने पर क्यों बेलारूस पिक्चर में आ जाता है?
अब तक रूस यूक्रेन में तबाही मचाने के दावे कर रहा था, लेकिन एकाएक खुद उसके ही देश में गृहयुद्ध का खतरा मंडराने लगा. यूक्रेन को हराने में पुतिन की मदद कर रहे सैन्य ग्रुप वैगनर के लीडर येवगेनी प्रिगोजिन तख्तापलट के लिए मॉस्को की तरफ कूच करने लगे. हालांकि बीच में दखल देते हुए पड़ोसी देश बेलारूस ने मामले को ठंडा कर दिया. अब फिलहाल के लिए पुतिन के ऊपर कोई खतरा नहीं, जिसमें बेलारूस का बड़ा रोल रहा.
क्या है वैगनर ग्रुप और कैसे करता है काम यह रशियन प्राइवेट मिलिट्री कंपनी है, जिसका काम रहा, दुनियाभर में फैलकर सीधे या अपरोक्ष तरीके से रूस के फेवर में काम करना. ये लगभग हर उस देश में घुसता है, जहां युद्ध या किसी तरह की अस्थिरता हो. वहां जाकर ये किसी एक लोकल ग्रुप की मदद करने लगता है. इससे लोकल समूह समूह अपने देश में मजबूत हो जाता है. इसके बदले वो वैगनर्स यानी रूस को किसी न किसी तरह का फायदा देता है. जैसे अफ्रीकी देशों को ही लें तो कई जगहों पर वैगनर ग्रुप एक्टिव है. वो वहां के सैन्य तानाशाहों को तानाशाह बने रहने में हेल्प कर रहा है, जिसके बदले रूस को तेल की खदानों का ठेका मिल जाता है.
क्रिमिनल रिकॉर्ड वाला सैन्य लीडर
वैगनर ग्रुप का लीडर येवगेनी प्रिगोजिन है. ये घोषित अपराधी है, जिसने अस्सी के दशक में मारपीट, डकैती और कई जुर्म किए थे. जेल से छूटने के बाद प्रिगोजिन ने हॉट-डॉग बेचना शुरू कर दिया और जल्द ही पुतिन की नजरों में आ गया. ये अपराधी रूसी राष्ट्रपति का इतना खास बन गया, कि पुतिन का शेफ तक कहलाने लगा. अब इसके पास रेस्त्रां की चेन से लेकर दुनिया के बहुत से देशों में फेक नामों से अलग-अलग बिजनेस होने की बात कही जाती है.
क्यों परेशान हुए कॉन्ट्रैक्ट वाले सैनिक
वैगनर ग्रुप अब तक रूस की शैडो आर्मी कहलाता रहा. यानी ऐसा समूह, जो ऑफिशियली तो सेना से जुड़ा हुआ नहीं, लेकिन हथियार वगैरह जिसे सेना से ही मिलते रहे. सालभर पहले तक इसके चीफ प्रिगोजिन को पुतिन का बेहद करीबी माना जाता रहा, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद उसके तेवर में बदलाव दिखे. प्रिगोजिन नाराज था क्योंकि उसे लगता था कि रूस सारी खतरे वाली जगहों पर उसके सैनिकों को आगे कर देता है, जबकि सुविधाओं के नाम पर उनके पास कुछ नहीं. दूरी बढ़ती गई और आखिरकार मामला इतना बिगड़ा कि बात तख्तापलट तक पहुंच गई.

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