सिविल सोसाइटी समूहों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट आवंटन में कटौती पर आपत्ति जताई
The Wire
इस साल स्वास्थ्य बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में सात फीसदी की कटौती की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे क़रीब सौ छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को ख़ारिज कर आवंटन में बढ़ोतरी करे.
नई दिल्ली: आम बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जारी बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत की कटौती की गई है. सिविल सोसाइटी समूहों ने 2 फरवरी बुधवार को एक बयान जारी करके इस कदम की निंदा की है.
पूरे भारत में स्वास्थ्य पर काम कर रहे करीब 100 छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान (जेएसए) ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को खारिज करे और विशेष तौर पर कोविड-19 के गंभीर परिणामों को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट आवंटन में बढ़ोतरी करे.
जन स्वास्थ्य अभियान समूह ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में अपर्याप्त बजट आवंटन को लेकर आपत्ति जताई है. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) का संचालन एनएचएम के तहत ही होता है, जो अधिकांश भारतीय आबादी की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है.
पुराने दो बजटों का विश्लेषण करते हुए जेएसए का कहना है कि 2021-22 में एनएचएम का वास्तविक खर्च 37,080 करोड़ रुपये था, लेकिन इस साल केवल 37,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जिसमें 7,500 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के विकास कार्य में लगाए जाने हैं, केवल 30,000 करोड़ रुपये प्राथमिक और माध्यमिक उपचार के लिए बचते हैं.