सावधान होने की उस चेतावनी और तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी
The Wire
तीस्ता का मानना है कि उनकी चुनौती दंड से मुक्ति की संस्कृति से लड़ना है. यही वो वजह है जो उन्हें प्रेरित करती है.
वह 1993 का एक दिन था, हल्की सुहानी सर्दी थी, जब मैं अपने चाचा प्रेम और चाची इंद्रा पसरीचा के घर गया. नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में सिंधिया हाउस स्थित उनके अपार्टमेंट में जाना मुझे हमेशा ही अच्छा लगता था, क्योंकि उनके यहां के पराठे हमेशा स्वादिष्ट होते थे और उनकी छत पर हमेशा लंगूर दिख जाते थे (कुछ साल बाद इन बंदरों ने मेरी कमज़ोर चाची पर हमला कर दिया). लेकिन मुझे उनके यहां जाने पर कुछ तो खटकता था.
मैं वामपंथी आंदोलन में शामिल हो गया था और अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने और उस स्थान पर राम मंदिर बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और उसके विभिन्न संगठनों द्वारा चलाए जा रहे राम जन्मभूमि अभियान का मुखर विरोधी था.
प्रेम चाचा और इंद्रा चाची, मेरी ही तरह मुझे प्यार करते थे, लेकिन हमारा दृष्टिकोण परस्पर विरोधी था. वह अपने सोफे पर बैठे-बैठे नारा लगाते- हम मंदिर वहीं बनाएंगे, इस दौरान उनकी गोद में चाय से भरा कप पूरी तरह से संतुलित रहता. मैं उनसे बहस करता, लेकिन जिसका कोई विशेष अर्थ नहीं था.
वह वृद्ध और अधिक अनुभवी थे और मैं अपने इर्द गिर्द जिस तरह की घिनौनी कट्टरता देख रहा था उसे देखकर मुझे घुटन होती थी. इसके अलावा, वे इस हद तक मेरा सम्मान करते थे कि मैं द स्टेट्समैन में क्रॉसवर्ड पहेली को समाप्त कर लूं, उन्हें ऐसा लगता था कि इसके बाद हमारे बीच की असहमति समाप्त हो गई है.