सनातन को लेकर उदयनिधि और प्रियंक खड़गे का बयान कांग्रेस और 'INDIA' गठबंधन के लिए कहीं साबित न हो जाए सेल्फ गोल?
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ऐसे समय में जब विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी और एनडीए को चुनावी मात देने के तरीके तलाश रही हैं, सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि स्टालिन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे के बयान पर हंगामा मच गया है. उदयनिधि और प्रियंक के सनातन को लेकर बयान कहीं कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के लिए सेल्फ गोल न साबित हो जाए.
साल था 2014, जनवरी का सर्द महीना लेकिन वातावरण में सियासी तपिश थी. माहौल चुनावी हो चला था. लोकसभा चुनाव करीब थे और तब की विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार के रूप में आगे कर चुकी थी. बीजेपी विजय संकल्प रैलियों के जरिए अपने चुनाव अभियान को धार देने में जुटी थी. नरेंद्र मोदी जगह-जगह रैलियां कर गुजरात मॉडल का बखान कर रहे थे, विकास के नए ख्वाब दिखा रहे थे. 'बहुत हुआ महंगाई का वार, अबकी बार मोदी सरकार' जैसे नारों से माहौल बनाने की कोशिश की जा रही थी.
चुनाव पूरी तरह से कांग्रेस का विकास बनाम गुजरात मॉडल, डॉक्टर मनमोहन सिंह बनाम नरेंद्र मोदी था कि इसी बीच एक तीसरे शख्स की एंट्री हुई और पूरी धारा ही बदल गई. जनवरी के दूसरे हफ्ते में उस शख्स ने एक बयान दिया जिसे बीजेपी ने मुद्दा बना लिया. ये शख्स थे मणिशंकर अय्यर और बयान था- चायवाला देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता. 21वीं सदी में तो बिल्कुल भी नहीं. बीजेपी ने इसे अपमान से जोड़ लिया और मणिशंकर का यही बयान पार्टी के चुनाव अभियान की धुरी बन गया. चाय पर चर्चा को बीजेपी ने प्रचार की थीम ही बना लिया.
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16 मई 2014 को जब चुनाव नतीजे आए, बीजेपी ने 282 सीटें जीत कर बहुमत के लिए जरूरी 273 सीटों का आंकड़ा अकेले दम पार कर लिया था. बीजेपी के नेतृ्त्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को 336 सीटों पर जीत मिली थी. दूसरी तरफ कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई और यूपीए महज 59 सीटें जीत सका. राजनीति के पंडितों ने ऐसे परिणाम के लिए तब मणिशंकर अय्यर के बयान को भी श्रेय दिया था. इसके बाद गुजरात चुनाव के समय भी मणिशंकर अय्यर ने पीएम को नीच कहा और बीजेपी इसे भी कैश करा ले गई थी.
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अब आप सोच रहे होंगे कि मणिशंकर अय्यर के इतने पुराने बयानों की चर्चा आज क्यों? आज इसलिए क्योंकि मणिशंकर अय्यर चुनाव में सेल्फ गोल के प्रतीक से बन गए थे. मणिशंकर अय्यर की इमेज ऐसी हो गई कि उनके बोलने का मतलब ही ये मान लिया जाने लगा कि कांग्रेस को नुकसान होगा. अब देश फिर से लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है. आम चुनाव में करीब छह महीने का समय बचा है. विपक्ष ने एनडीए को हराने के लिए, सत्ता से हटाने के लिए नया गठबंधन बनाया है. चुनावी रण के लिए विपक्ष के कद्दावर चेहरे रणनीतियों का व्यूह रचने में जुटे हैं कि पहले उदयनिधि स्टालिन और फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक ने सनातन को लेकर ऐसा बयान दे दिया जिसे अब बीजेपी ने हमले का हथियार बना लिया है.
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