
शीशे से बना दिया सोना... एक प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने किया कमाल, कीमियागरों का सपना हुआ सच
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प्राचीन काल से ही कीमियागर शीशे से सोना बनाने का प्रयास करते रहे हैं. अब उनका ये सपना जेनेवा की एक प्रयोगशाला में सच हो गया. जानते हैं क्या है ये पूरा मामला?
मध्यकाल में कुछ लोग रसायन विज्ञान, ज्योतिष और अन्य रहस्यमयी प्रयोग करते रहते थे. इन्हें कीमियागर कहा जाता था. ये कीमियागर शीशे से सोना बनाने की भी कोशिश में लगे हुए थे. उनका मानना था कि शीशे से सोना बनाया जा सकता है.
कीमियागरों का मानना था कि शीशे और सोने का समान घनत्व इस बात का संकेत था कि शीशा बीमार है और इसे मूल्यवान सोने में बदलकर ठीक किया जा सकता है. गलत होने के बावजूद, प्राचीन कीमियागरों की मान्यताओं में सच्चाई का एक अंश था. आवर्त सारणी पर दोनों धातुएं एक दूसरे के बहुत करीब हैं , सोने में 79 प्रोटॉन हैं, जो शीशे से सिर्फ तीन कम है.
पुराने जमाने से शीशे को सोने में बदलने की होती रही है कोशिश बेस मेटल लेड को कीमती धातु सोने में बदलना मध्ययुगीन कीमियागरों का सपना था. इस लंबे समय से चली आ रही खोज को जिसे क्राइसोपोइया के नाम से जाना जाता है. अब यह सपना सच हो चुका है. एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि में, यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन के भौतिकविदों, जिन्हें CERN ( European Council for Nuclear Research) के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) के रूप में जाना जाता है, ने शीशे को सोने में सफलतापूर्वक बदल दिया है. हालांकि, यह क्षणिक था.
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में ये हो सका संभव शीशे के नाभिकों की उच्च-ऊर्जा टक्करों के दौरान, शोधकर्ताओं ने सोने के नाभिकों के निर्माण को देखा, जो आधुनिक भौतिकी के माध्यम से एक पुरानी रसायन विज्ञान की उम्मीद पूरी पर खरी उतरी. एलिस परियोजना के हिस्से के रूप में किए गए ये प्रयोग बिग बैंग के तुरंत बाद मौजूद मौलिक बलों और स्थितियों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं.
सोना और शीशा का एक समान होता है घनत्व फिजिकल रिव्यू जर्नल्स में प्रकाशित एक पेपर में , एलिस (ए लार्ज आयन कोलाइडर एक्सपेरीमेंट) सहयोग ने उन मापों की रिपोर्ट दी है जो सर्न के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) में शीशे के सोने में रूपांतरण को मापते हैं. सर्न द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार , लेड सोने के समान घनत्व का होता है, जिसे लंबे समय से इसके सुंदर रंग और दुर्लभता के लिए जाना जाता रहा है. यह बहुत बाद में स्पष्ट हुआ कि लेड और सोना अलग-अलग रासायनिक तत्व हैं और रासायनिक विधियां एक को दूसरे में बदलने में शक्तिहीन हैं.
शीशे के नाभकीय टकराव से छोटी मात्रा में बन पाया सोना जिनेवा के पास सर्न में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि 2015 और 2018 के बीच दूसरे रन के दौरान लगभग 86 बिलियन सोने के नाभिक बनाए गए थे - ये सभी प्रकाश की गति के 99.999993% पर शीशा परमाणुओं के एक साथ टकराने से बने थे. परिणाम में सोने की एक छोटी मात्रा बनी जो कि एक ग्राम के मात्र 29 ट्रिलियनवें हिस्से के बराबर थी, जो बीम पाइप से टकराई और एक सेकंड के अंदर टुकड़े-टुकड़े हो गई.

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