शिव की नगरी में है मां शैलपुत्री का सबसे प्राचीन मंदिर, नवरात्र के पहले दिन सुहागनों को मिलता है वरदान
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हर साल नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर में पैर रखने की भी जगह नहीं होती. यहां आकर सुहागन महिलाएं अपने पति की उम्र की कामना करती हैं. मान्यता है कि मां शैलपुत्री हर मनोकामना सुनती हैं...
Navratri 2021: नवरात्र के पावन दिन आज से शुरू हो गए हैं. हिंदू मान्यताओं में इन नौ दिनों में देवी मां की पूजा का विशेष महत्व होता है. देवी के नौ रूपों की अराधना का आरंभ 7 अक्टूबर से हो गया है. सभी श्रद्धालु ने कलश स्थापना कर यह पर्व भक्ति भाव से मना रहे हैं. आपको ज्ञात हो, नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है. लेकिन, बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि हमारे देश में मां शैलपुत्री का मंदिर भी है. यह कहां है और इसका क्या महत्व है, यह हम आपको बताएंगे इस खबर में.
शिव की नगरी काशी में है मां का मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है और इसी नगरी में है मां दुर्गा के 'शैलपुत्री' रूप वाला पहला मंदिर. वाराणसी के अलईपुर में यह प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर सिटी स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर होगा. लोगों का मानना है कि मां शैलपुत्री खुद इस मंदिर में विराजमान हैं. मान्यता यह भी है कि वे वासंती और शारदीय नवरात्र के पहले दिन भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं.
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