'शवों के बीच पड़ा था, शरीर में हरकत देखी तो भेजा अस्पताल,' ओडिशा ट्रेन हादसे में ऐसे बची युवक की जान
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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में हावड़ा के रहने वाले विश्वजीत मलिक भी जख्मी हुए हैं. उन्हें स्थानीय लोगों ने मौके से बेहोशी की हालत में पड़ा देखा था. आसपास शव पड़े थे. उनके बीच विश्वजीत जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे थे. मददगारों ने समय रहते विश्वजीत को अस्पताल भेजा और इलाज शुरू हो गया. विश्वजीत ट्रेन से नौकरी करने चेन्नई जा रहे थे.
ओडिशा में बालासोर जिले में 5 दिन पहले हुए भीषण ट्रेन हादसे की दिलदहला देने वालीं कहानियां सामने आने लगी हैं. ट्रिपल ट्रेन हादसे में बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल के रहने वाले लोग भी घायल हुए हैं. कई की जान गई है. हादसे में हावड़ा का रहने वाला एक युवक बाल-बाल बचा है. उसे कोलकाता के SSKM हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है. यह युवक 2 जून को शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार होकर चेन्नई जा रहा था. वो वहां पानी के संयंत्र (water plant) में नौकरी जॉइन करनी थी.
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की शाम जब ट्रेन हादसा हुआ, तब विश्वजीत मलिक घटनास्थल पर बेसुध हालत में पड़ा था. स्थानीय लोग मदद करने के लिए पहुंचे तो विश्वजीत को वहां रेलवे ट्रैक के किनारे खुले मैदान में अन्य शवों के बीच पड़ा देखा. स्थानीय लोगों ने बताया कि जब शवों को भेजा जा रहा था. तब विश्वजीत के शरीर में उनके बाएं हाथ को हरकत करते देखा गया. आनन-फानन में उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया. समय रहते इलाज मिलने से विश्वजीत अब खतरे से बाहर है.
'फोन करने के बाद बेहोश हाे गया बेटा'
विश्वजीत (24 साल) के पिता हेलाराम मलिक कहते हैं कि हादसे के बाद उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया था. उसे हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने सबसे पहले रेस्क्यू किया और बचानागा के एक अस्पताल में भर्ती कराया. पिता बताते हैं कि हादसे की जानकारी उनके बेटे विश्वजीत ने ही दी थी. वो जब अस्पताल में एडमिट हो गया, तब फोन किया. उसके बाद बेहोश हो गया. बेटा यह नहीं बता सका कि किस शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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