शराब तस्करी, SSP पर केस, चीफ जस्टिस की कॉल... ऐसे फेक कॉल का शिकार बने बिहार के DGP
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इसे कहते हैं चमत्कार को नमस्कार. बात थोड़ी तल्ख लग सकती है, लेकिन ऐसा घनघोर चमत्कार शायद बिहार में ही मुमकिन है. वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि एक आला दर्जे का ठग खुद को हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बता कर सूबे के डीजीपी से अपना काम करा ले.
बिहार के चीफ जस्टिस बिहार के डीजीपी को फोन करते हैं. फोन पर कहते हैं कि एक एसएसपी हैं, जिनके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज है. उस मुकदमे को खत्म कर दीजिए और उन्हें क्लीन चिट दे दीजिए. अब चीफ जस्टिस का हुक्म था, लिहाजा बिहार के डीजीपी ने वैसा ही किया, जैसा वो चाहते थे. उन्होंने उस एसएसपी को क्लीन चिट दे दी. लेकिन बाद में चीफ जस्टिस की कॉल को लेकर एक ऐसा खुलासा हुआ कि खुद डीजीपी और उनका पूरा महकमा सकते में आ गया.
चीफ जस्टिस बता कर DGP को किए कॉल्स इसे कहते हैं चमत्कार को नमस्कार. बात थोड़ी तल्ख लग सकती है, लेकिन ऐसा घनघोर चमत्कार शायद बिहार में ही मुमकिन है. वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि एक आला दर्जे का ठग खुद को राज्य का चीफ जस्टिस बता कर सूबे के डीजीपी को एक-एक कर कम से कम चालीस से पचास बार कॉल कर डाले और इसी फर्जी चीफ जस्टिस के प्रभाव में आकर डीजीपी साहब वो कर दें, जो तमाम कायदे कानूनों से परे हो.
ठग ने रची जालसाज़ी की साजिश डीजीपी साहब अपने मातहत एक आईपीएस अफसर के खिलाफ दर्ज सरकारी काम में लापरवाही का मुकदमा ही अपने तौर पर वापस ले लिए. दरअसल, बिहार में एक आईपीएस से मिलीभगत कर हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे की तर्ज पर एक ठग ने ऐसा जाल बट्टा फैलाया कि अब इस कहानी के सामने आने के बाद पूरे बिहार के सियासी और सरकारी महकमे में खलबली मची है.
अजब-गजब है ये मामला डीजीपी एसके सिंघल समेत महकमे के आला अफसरों को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वो करें तो क्या करें. और इस मामले को लेकर उठते सवालों पर क्या जवाब दें. फर्ज़ी फोन कॉल्स के जरिए एक आईपीएस अफसर पर दर्ज केस को खारिज करवाने के इस अजीबोगरीब मामले को समझने के लिए इस कहानी को शुरू से सुनना जरूरी है.
IPS आदित्य कुमार से जुड़ा है ये केस इस कहानी की शुरुआत होती है कि बिहार के गया जिले से. आपको पता होगा कि नीतीश कुमार के राज में बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. यानी बिहार में शराब पीने-पिलाने और बेचने पर क़ानूनन रोक है और ऐसा करते पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई भी तय है. ये मामला आईपीएस आदित्य कुमार से जुड़ा है. बात उन दिनों की है, जब आदित्य कुमार गया के एसएसपी हुआ करते थे.
गिरफ्तार तस्करों को छोड़ने का इल्जाम उनके जिले में एक थाने ने शराब की खेप के साथ कुछ तस्करों को पकड़ा और फिर कुछ अंजान वजहों से बगैर किसी कानूनी कार्रवाई के ही उन्हें छोड़ दिया. जब ये बात तत्कालीन आईजी रेंज अमित लोढ़ा को पता चली, तो उन्होंने एसएसपी आदित्य कुमार को थानेदार के खिलाफ जांच के आदेश दिए. लेकिन हैरानी की बात ये रही कि एसएसपी आदित्य ने थाना इंचार्ज को सिर्फ चेतावनी भर देकर छोड़ दिया.
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