
...वे 15 शब्द जिनसे खाक हो गई ट्रूडो के झूठ की लंका, निज्जर केस में दावे और पोलखोल के 18 महीनों की पूरी कहानी
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Canada commission report: आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच कर रही कमीशन ने अपने 123 पन्नों की रिपोर्ट में इस हत्याकांड से किसी भी विदेशी लिंक से इनकार किया है. ये रिपोर्ट कनाडा के पीएम ट्रूडो के दावे पर जोरदार तमाचा है जहां उन्होंने निज्जर की हत्या में इंडियन एजेंट की भूमिका को माना था. इसके साथ ही दोनों देशों के संबंध रसातल में चले गए थे.
कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में इंडियन एजेंट की कथित भूमिका की जांच कर रही कनाडा कमीशन की 123 पन्नों की रिपोर्ट में भारत के काम के 15 शब्द हैं. इन 15 शब्दों ने ही कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के 18 महीने के एंटी इंडिया प्रोपगैंडा की हवा निकाल दी और उनके दावों की धज्जियां उड़ा दी.
"Public Inquiry Into Foreign Interference in Federal Electoral Processes and Democratic Institutions" नाम के शीर्षक से छपे इस रिपोर्ट में कमिश्नर मेरी जोसी हॉग लिखती हैं, "हालांकि फिर भी किसी विदेशी राज्य से कोई निश्चित संबंध साबित नहीं किया जा सका" (though again no definitive link to a foreign state could be proven).
15 शब्दों की इस रिपोर्ट से साफ साबित हो जाता है कि स्वयं कनाडा की जांच कमीशन को आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल सका.
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत-कनाडा के संबंधों में वो मुद्दा था जिसकी वजह से दोनों देशों के संबंध निचले से निचले स्तर पर चले गए. इस मुद्दे पर जस्टिन ट्रूडो ने बेहद गैर-जिम्मेदार रवैया अपनाया और कनाडा की संसद में इस हत्याकांड में भारत के खुफिया एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया.
अब जांच कमीशन की रिपोर्ट ये बताती है ट्रूडो के आरोप किस स्तर तक बेबुनियाद, आधारहीन, अतार्किक और भड़काऊ थे.
चौंकाने वाली बात यह है कि ट्रूडो ने भारत-कनाडा संबंधों को रसातल में पहुंचा दिया, जबकि उन्हें पूरी तरह पता था कि इस मामले में भारत सरकार को जोड़ने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है. वे "विश्वसनीय सबूत" की रट लगाए रहे, जबकि उनके पास कुछ भी नहीं था.

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