विवाद: फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुलाया
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फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ली द्रियान ने शुक्रवार अपने लिखित बयान में कहा, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की अपील पर फ्रांस का फैसला ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के द्वारा की गई घोषणाओं की असाधारण गंभीरता के बीच उचित है. उन्होंने कहा, बुधवार को अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया के पनडुब्बी सौदे की घोषणा सहयोगियों और भागीदारों के बीच अस्वीकार्य व्यवहार है.
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए नए सैन्य समझौते के बाद फ्रांस ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाया. फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को बुलाने का फैसला किया है. दरअसल, नए समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया में एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाने का भी प्रस्ताव है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ हुए डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन्स अनुबंध से अलग होने का फैसला किया है.
इजरायल-हमास जंग में सीधा दखल देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गाजा में लड़ाई रोकने का प्रस्ताव पास किया. ये यूनाइटेड नेशन्स की सबसे मजबूत शाखा है. ऐसे में जाहिर है कि उसका कहना भी खासा मायने रखेगा. लेकिन क्या हो अगर कोई देश उसकी बात को नजरअंदाज कर दे? कब और क्या-क्या एक्शन ले सकती है परिषद?
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि पिछले हफ्ते मॉस्को के बाहरी इलाके में मौजूद क्रोकस सिटी हॉल में हुआ घातक हमला इस्लामी आतंकवादियों द्वारा किया गया है. हालांकि, पुतिन ने मामले में यूक्रेन को क्लीन चिट नहीं दी है. पुतिन ने कहा कि ये यूक्रेन के लिए भी फायदेमंद था और हो सकता है कि कीव ने इसमें भूमिका निभाई हो. उन्होंने ये टिप्पणी आतंकी हमले के जवाब में रूस द्वारा हुई एक मीटिंग के दौरान की. इससे पहले फ्रांस ने अमेरिका के हां में हां मिलाते हुए कहा कि, खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि हॉल में हुए हमले के लिए इस्लामिक स्टेट जिम्मेदार है. आपको बता दें कि इस हॉल में 4 आतंकियों ने घुसपैठ की और करीब 140 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई.
ईरान के जुर्माने से बचने के लिए पाकिस्तान ने उठाया ये कदम तो अमेरिका ने दी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी
अमेरिका ने पाकिस्तान को पाक-ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर चेतावनी दी है. अमेरिका ने पाकिस्तान को इस परियोजना को रोकने की सलाह दी है. अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. इस प्रोजेक्ट को लेकर मई 2009 में पाकिस्तान और ईरान के बीच समझौता हुआ था.