
वायरस या तुर्की के भारत का गेहूं लौटाने के पीछे कोई और वजह?
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तुर्की की तरफ से वापस भेजे गए भारतीय गेहूं को लेकर निर्यातक कंपनी का कहना है कि ये गेहूं उसने पहले नीदरलैंड्स की एक कंपनी को बेचा था. इसके बाद उस कंपनी ने भारतीय गेहूं को तुर्की को बेचा. गेहूं को बेचते वक्त उसकी गुणवत्ता और वजन की पूरी जांच की गई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं में बीमारी का वायरस होने की बात राजनीतिक हो सकती है.
ऐसे वक्त में जब दुनियाभर में गेहूं को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, तुर्की ने भारतीय गेहूं की खेप को ये कहते हुए लौटा दिया कि भारतीय गेहूं में रुबेला वायरस पाया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि तुर्की ने ऐसा राजनीतिक कारणों या भारतीय गेहूं के आयातक देशों में 'कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धा' के कारण किया है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, तुर्की को भेजे जाने वाले गेहूं की खेप सीधे भारत से निर्यात नहीं की गई थी और भारतीय कंपनी आईटीसी लिमिटेड ने इसे नीदरलैंड स्थित एक कंपनी को बेच दिया था.
ITC LTD के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर 'द हिंदू बिजनेस लाइन' को बताया, 'आईटीसी ने फ्री ऑन बोर्ड (वजन और गुणवत्ता) आधार पर एक डच फर्म को गेहूं बेचा जिसने इसे एक तुर्की कंपनी को बेच दिया. ITC और डच फर्म दोनों को गेहूं की खेप के लिए पैसे मिल गए हैं. यह एक राजनीतिक फैसले से प्रेरित लगता है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि गेहूं में कोई मानवरोग पाया गया लेकिन वो बीमारी फसलों में पाई ही नहीं जाती. ये आयात करने वाले देशों में कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्विता के कारण भी हो सकता है.'
भारतीय कंपनी के नाम को लेकर हुई गलतफहमी
कंपनी के अधिकारी ने स्पष्ट किया कि आधिकारिक दस्तावेजों में शिपर के कॉलम में ITC का ही नाम लिखा था जिसे देखने के बाद कई लोगों ने ये मान लिया कि गेहूं भारत से सीधे तुर्की को निर्यात किया गया था.
इससे पहले एक और अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा था, 'केंद्र सरकार को गेहूं की खेप लौटाने के बारे में सूचित किया गया है. हमें पता चलता है कि यह खेप आईटीसी समूह से संबंधित है, जो तुर्की को सीधे नहीं बेचा गया है. खेप को नीदरलैंड्स में स्थित एक खरीददार को वजन और गुणवत्ता की जांच के आधार पर बेचा गया था.'

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