वसुंधरा राजे की 5 शक्तियां, नजरअंदाज किया तो धरातल पर होगी BJP
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सी वोटर के एक सर्वे में 2 बार सीएम रहीं वसुंधरा अभी भी राज्य में बीजेपी की सबसे अधिक लोकप्रिय नेता हैं. राजस्थान में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि वसुंधरा अगर धरा पर बैठ गईं तो पार्टी को धरातल पर पहुंचा सकती हैं? क्या है वसुंधरा की राजनीतिक ताकत राजस्थान में आईए देखते हैं.
राजस्थान में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अभी तक जो संकेत दिए हैं उससे यही लगता है कि राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे किनारे लगाई जा चुकी हैं. बीजेपी उन्हें किसी भी तरह की कोई खास भूमिका देने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है. दोनों चुनाव समितियों में उनका और उनके समर्थकों का न होना, पीएम मोदी के स्टेज पर बार-बार भाव न मिलना आदि तो यही इशारा करता है.
दूसरी ओर वसुंधरा को जो लोग नजदीक से जानते हैं उनका कहना है कि वो चुपचाप बैठकर तमाशा देखने वालों में से नहीं हैं. समर्थकों के दबाव के चलते बीजेपी आलाकमान से अपने अपमान का बदला लेने के लिए वो कुछ भी कर सकती हैं. वो नया दल बना सकती हैं और पार्टी में रहते हुए भी बहुत कुछ कर सकती हैं. बीजेपी का नुकसान करने के लिए वो पार्टी में रहते हुए चुनाव की घोषणा होने के बाद राजस्थान के दौरे पर निकल सकती हैं. अगर वो ऐसा कुछ नहीं भी करती हैं तो भी बीजेपी को बहुत नुकसान हो सकता है. ये पांच बातें यही इशारा कर रही हैं.
1- राजस्थान में जीत हार का अंतर बहुत कम
आंतरिक कलह से जूझती कांग्रेस ने अपने मसले सुलझा लिए हैं. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच द्वंद्व वाली खबरें आनी बंद हो गईं हैं.अशोक गहलोत के कल्याणकारी कार्यक्रमों को जनता के बीच ले जाया जा रहा है तो दूसरी ओर बीजेपी बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ने की तैयारी में है.पिछले चुनाव ( 2018) के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 5 प्रतिशत से कम अंतर से करीब 30 प्रतिशत सीटें जीतीं गईं हैं. 2003 और 2008 के चुनावों में तो और भी कड़ा मुकाबला रहा है. कांग्रेस-बीजेपी ने 41.5 प्रतिशत से ज्यादा सीटें मामूली अंतर से जीतीं थीं.कहने का मतलब इतना ही है कि अगर वसुंधरा ने 5 प्रतिशत वोट भी इधर उधर किए तो बीजेपी के साथ खेला हो जाएगा.
2- केवल 0.5% वोट ही कम थे और बीजेपी को विपक्ष में बैठना पड़ा
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का अंतर कांग्रेस की तुलना में वोट शेयर का महज 0.5% था. यानी कुल वोट में कांग्रेस केवल .5 परसेंट वोट से बीजेपी से आगे थी. लेकिन इस बार बीजेपी महिला प्रवासी अभियान के माध्यम से महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसका मकसद 5 प्रतिशत वोटों के मामूली अंतर से हारी हुई सीटों को फिर से हासिल करना है. महिलाओं के बीच वसुंधरा बहुत लोकप्रिय रही हैं. पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि महिलाओं के बीच अपनी मजबूत छवि के कारण पूर्व सीएम वसुंधरा को इस अभियान में सबसे आगे रखना चाहिए था.

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