
रूस से तेल न खरीदने का फैसला क्या दुनिया को नई मुसीबत में डालेगा?
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Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच अमेरिका अपनी चाल चलता हुआ नजर आ रहा है. जिस तरह रूस ने यूक्रेन में तबाही मचाई हुई है उसके जवाब में रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए अमेरिका प्रतिबंधों वाले हमले कर रहा है. रूस पर लगाए गये कच्चे तेल के प्रतिबंध से अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन पर सीधा प्रहार किया है. और अब रूस ने भी इस हमले का जवाब देने की तैयारी कर ली है.
Russia-Ukraine War: युद्ध के मैदान में रूस अपनी शक्ति का परिचय पूरी दनिया को दे चुका है और अब तेल की कीमतों में आग लगाकर दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था को हिला सकता है. रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है जो रोजाना 80 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है. रूस, दुनिया के 80 देशों में कच्चे तेल की सप्लाई करता है जिसमें तेल की 25 फीसदी खपत यूरोप और 15 फीसदी चीन तो 2 फीसदी भारत करता है.
अमेरिका अपनी जरूरत का करीब 8-10% तेल रूस से आयात करता है जो कि रोजाना के हिसाब से करीब 6 लाख 72 हज़ार बैरल होता था. एक अमेरिकी बैरल में करीब 119 लीटर तेल होता है. हालांकि अमेरिका ने पिछले कुछ महीनों में लगातार रूस से पेट्रोलियम पदार्थ का आयात को कम किया है. अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद माना जा रहा है कि क्रूड के दामों में और इजाफा होगा लेकिन इस बावजूद रूस पर प्रतिबंधों का दौर जारी है. अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी रूस पर बैन लगाने का ऐलान कर दिया. ब्रिटेन ने साल के अंत तक रूसी तेल के आयात पर रोक लगाने का फैसला कर लिया है. रूस की यूरोप को धमकी!
हाल ही में रूस ने धमकी दी कि वो यूरोप को गैस सप्लाई रोक देगा. इसके अलावा रूस चाहे तो कच्चे तेल की कीमतें 300 डॉलर तक पहुंचा सकता है. रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा है कि ये पूरी तरह से साफ है कि अगर रूसी तेल को रिजेक्ट किया गया तो ग्लोबल मार्केट पर इसके भयानक दुष्परिणाम होंगे. क्रूड ऑयल की कीमतों में ऐसी तेजी आएगी, जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता.दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर हो सकता है संकट
ऐसे में माना जा रहा है कि अगर रूस ने इंटरनेशनल सप्लाई पर रोक लगाई तो दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर संकट पैदा होना तय है. हालांकि कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दामों में इस संकट की आहट सुनाई दे रही है. रूस के तेवर से साफ है कि वो पीछे हटने वाला नहीं है ना तो युद्ध के मैदान में और ना ही इंटरनेशनल बाज़ार में, लेकिन महंगाई के संकट का सामना कर रहे अमेरिका के लिए ये फैसला बहुत घातक सिद्ध होने वाला है. क्योंकि अमेरिका पहले ही 40 साल की सबसे अधिक महंगाई से जूझ रहा है और पेट्रोल की कीमतें 14 साल में सबसे ज्यादा हैं. लेकिन इसके बाद भी अमेरिका रूस से तेल ना खरीदने का ऐलान कर चुका है.मैक्डोनाल्ड ने भी बंद किया काम
वहीं अमेरिका के रुख को देखते हुए रूस में कई कंपनियां अपने उत्पाद और सेवाएं बंद कर चुकी है. यूक्रेन के समर्थन में Apple कंपनी ने अपने हार्डवेयर प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके अलावा अमेरिका की दिग्गज मोटरबाइक कंपनी, हार्ले डेविडसन ने रूस में अपना बिज़नेस और सप्लाई रोक दी है. रूस में बिजनेस रोकने वाली कंपनियों में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, वॉल्वो, मर्सिडीज के अलावा मैक्डोनाल्ड, पेप्सी, नेस्ले, कोक और स्टारबक्स जैसे बड़े नाम भी जुड़ गए हैं.

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