
रूस की इस चाल पर भड़क गया सऊदी अरब, दे डाली नसीहत
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एशियाई मार्केट में रूस की एंट्री से सऊदी अरब का फुटप्रिंट खत्म हो रहा है. इस वजह से दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल सऊदी अरब और रूस के बीच तनातनी जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने सऊदी अरब से समझौते के बाद भी तेल उत्पादन में कटौती नहीं की. दोनों देशों के बीच विवाद का एक कारण यह भी है.
ऑयल मार्केट के दो बड़े दिग्गज सऊदी अरब और रूस के बीच ऑयल मार्केट में दबदबे को लेकर पिछले कुछ दिनों से तनातनी जारी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से समझौते के बावजूद ऑयल मार्केट से कम होते दबदबे और क्रूड ऑयल की कीमत में वृद्धि नहीं होने के कारण सऊदी अरब ने रूस से नाराजगी जाहिर की है.
दरअसल, दोनों देश तेल उत्पादक देशों के समूह OPCE+ के सदस्य हैं. लेकिन यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद रूस ने रियायती कीमतों पर तेल निर्यात करना शुरू कर दिया. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमत कम हो गई.
तेल की गिरती कीमत को देखते हुए पिछले महीने अप्रैल में रूस, सऊदी अरब समेत ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया. इस समझौते के तहत सऊदी अरब ने 5 लाख बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन कम कर दिया. वहीं, सऊदी अरब का कहना है कि रूस ने तेल उत्पादन में कटौती नहीं की.
रूस ने तेल उत्पादन में नहीं की कटौती
अमेरिकी अखबार 'द वॉल स्ट्रीट' जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब रूस से इसलिए भी खफा हो रहा है क्योंकि समझौते के अनुसार रूस ने तेल उत्पादन में कटौती नहीं की है. हालांकि, रूस का कहना है कि उसने भी समझौते के अनुसार तेल उत्पादन में कटौती की है. लेकिन ऑयल मार्केट विशेषज्ञ रूस के इस बयान से आश्वस्त नहीं हैं.
ऑयल मार्केट से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस ने तेल उत्पादन में कटौती नहीं की है. क्योंकि रूस ने ऑयल प्रोडक्शन को लेकर कोई आधिकारिक रिपोर्ट अभी तक नहीं जारी की है.

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