रूस और सऊदी अरब की इस जुगलबंदी से पूरी दुनिया के निकले आंसू
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ऑयल मार्केट के दो बड़े दिग्गज रूस और सऊदी अरब के एक फैसले की वजह से पिछले तीन महीने में कच्चे तेल की कीमत में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कच्चे तेल की कीमतों में ऐसे ही वृद्धि जारी रही तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा. जिससे वैश्विक केंद्रीय बैंकों को फिर से ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के सदस्य और ऑयल मार्केट के दो बड़े दिग्गज सऊदी अरब और रूस की जुगलबंदी ने दुनिया के तेल बाजार में घमासान मचा दिया है. कच्चे तेल की कीमत को बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने जुलाई 2023 में तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी. जिसका असर ऑयल मार्केट में दिखने लगा है.
अमेरिकी वेबसाइट 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब और रूस ने कम तेल उत्पादन के बावजूद पिछले कुछ महीनों में तेल राजस्व से अरबों डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है. क्योंकि तेल उत्पादन में कटौती के बाद कच्चे तेल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. वर्तमान में ब्रेंट क्रूड की कीमतें तेजी से 100 डॉलर की ओर बढ़ रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से जून महीने के बीच की अवधि की तुलना में रूस ने इस तिमाही तेल निर्यात से 2.8 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है. वहीं, सऊदी अरब ने इसी अवधि के दौरान 2.6 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है. यानी दोनों देशों ने प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ डॉलर की अतिरक्त कमाई की.
कच्चे तेल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि
सऊदी अरब और रूस की जुगलबंदी ने तेल बाजार को किस तरह से प्रभावित किया है, इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दोनों देशों ने जुलाई 2023 में जब तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी, उस वक्त कच्चे तेल की कीमत लगभग 76 डॉलर प्रति बैरल था. जबकि उसी कच्चे तेल की कीमत आज लगभग 93 डॉलर प्रति बैरल है.
तेल की कीमत को बढ़ाने के लिए तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने पिछले साल अक्टूबर में भी प्रतिदिन 20 लाख बैरल कम तेल उत्पादन करने की घोषणा की थी. लेकिन जुलाई 2023 में सऊदी अरब और रूस ने एक बार फिर तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती की घोषणा कर दी. इस घोषणा के तहत सऊदी अरब ने तेल उत्पादन में 10 लाख बैरल प्रतिदिन तो रूस ने पांच लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की.