
राष्ट्रीय पार्टी बनना केजरीवाल के मेगा प्लान का है हिस्सा, ऐसे ही नहीं हो रहा बड़ा बवाल
AajTak
आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनना चाहती है. उसके सपने क्योंकि बड़े हैं, ऐसे में ये दर्जा उसे मिलना जरूरी है. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक प्लान तैयार किया है, वो तभी साकार होगा जब पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा मिल जाएगा.
आम आदमी पार्टी कहने को सिर्फ दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही है, लेकिन इसकी पहुंच अब पूरे देश में है. कई राज्यों में पार्टी ने अपना विस्तार किया है, संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का रोड मैप क्लियर है- आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना है, कई राज्यों में सरकार बनानी है और एक समय बाद बड़े सियासी खेल करने हैं. अब ये सबकुछ समय के साथ होगा, लेकिन इसकी एक अहम कड़ी ये भी रहेगी कि AAP को राष्ट्रीय पार्टी बनाना होगा, उसे क्षेत्रीय दल की छवि से बाहर निकलना पड़ेगा.
अब उस दिशा में आम आदमी पार्टी आगे बढ़ चुकी है. पिछले साल गुजरात चुनाव के बाद ही पार्टी ने कह दिया था कि वो अब राष्ट्रीय पार्टी है. कई तरह के तर्क भी रख दिए गए थे, लेकिन चुनाव आयोग ने उसे वो तमगा नहीं दिया. अब उस तमगे के मिलने में हो रही देरी ने ही नया विवाद खड़ा कर दिया है. आलम ये है कि आम आदमी पार्टी इस मामले को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट चली गई. वहां पर याचिका दायर कर खुद को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने की मांग उठाई गई है. अभी के लिए कोर्ट ने चुनाव आयोग को 13 अप्रैल तक फैसला लेने को कह दिया है, ऐसे में जल्द ही कोई बड़ा अपडेट आ सकता है. लेकिन इस समय आम आदमी पार्टी की तरफ से मुद्दे को लेकर सियासत शुरू कर दी गई है.
राष्ट्रीय पार्टी बनने की पूरी ABCD
आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगा दिया है कि बीजेपी के इशारों पर चुनाव आयोग द्वारा उन्हें अभी तक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं दिया गया है. दूसरी तरफ पार्टी के सचिव पंकज गुप्ता इस बाबत मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलना चाह रहे हैं, लेकिन आरोप है कि मुख्य चुनाव आयुक्त उन्हें मिलने का समय नहीं दे रहे. ऐसे में विवाद बड़ा है और इसे लेकर एक बार फिर बीजेपी बनाम आप की जुबानी जंग शुरू हो गई है. वैसे आम आदमी पार्टी के लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा होना जरूरी है. अरविंद केजरीवाल का जो नेशनल प्लान है, वे भविष्य में आम आदमी पार्टी को जहां पर खड़ा देखना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलना जरूरी है. अब उस नेशनल प्लान को तो समझेंगे ही, लेकिन पहले राष्ट्रीय पार्टी की सारी ABCD समझना जरूरी है.
असल में किसी भी पार्टी को अगर देश में चार से ज्यादा राज्यों में 6 फीसदी से ज्यादा वोट मिलता है, तो उसे राष्ट्रीय पार्टी मान लिया जाता है. वहीं अगर कोई भी पार्टी एक बार राष्ट्रीय दर्जा पा लेती है तो एक साथ कई फायदे मिलते हैं. इसमें सियासी भी रहते हैं, आर्थिक भी रहते हैं और विस्तार से लिहाज से काफी जरूरी भी माने जाते हैं. ये फायदे ही इस समय आम आदमी पार्टी को भी दिख रहे हैं. पहले उन फायदो पर नजर डाल लेते हैं-
1. राष्ट्रीय पार्टी को विशिष्ट चुनाव चिन्ह का आवंटन किया जाता है. राष्ट्रीय पार्टी के चुनाव चिन्ह को पूरे देश में किसी अन्य पार्टी के द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.

राष्ट्रपति पुतिन ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उनकी गरिमामय उपस्थिति के साथ राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया. यह मुलाकात दो देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को दर्शाने वाली थी. पुतिन ने महात्मा गांधी के आदर्शों का सम्मान करते हुए भारत की संस्कृति और इतिहास को सराहा. इस अवसर पर राजघाट की शांतिपूर्ण और पावन वायु ने सभी को प्रेरित किया.










