रामपुर के बाद स्वार में भी ढह गया आजम परिवार का किला, हिंदू कैंडिडेट का दांव भी नहीं चला
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UP By Election Results 2023: रामपुर की स्वार सीट से उपचुनाव जीतकर अपना दल (एस) के शफीक अंसारी ने आजम खान का मजबूत किला ध्वस्त कर दिया है. बीजेपी गठबंधन से अपना दल के शफीक अंसारी ने सपा की अनुराधा चौहान को 9734 वोट के अंतर से हरा दिया है. अपना दल के शफीक को 67434 वोट मिले. वहीं अनुराधा को 57710 वोट मिले.
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में रामपुर की स्वार टांडा सीट से अपना दल के शफीक अंसारी की जीत हो गई है. बीजेपी गठबंधन से अपना दल के शफीक अंसारी ने समाजवादी पार्टी की अनुराधा चौहान को 9734 वोट के अंतर से हरा दिया है. इस चुनाव में अपना दल के शफीक को 67434 वोट मिले और अनुराधा को 57710 वोट हासिल हुए. इसी जीत के साथ भाजपा गठबंधन ने आजम खान का मजबूत किला ध्वस्त कर दिया है.
अपने बेटे की सीट को बचाने के लिए आजम खान की ओर से खेला गया हिंदू कार्ड भी उपचुनाव में विफल साबित हुआ. स्वार की जनता ने आजम परिवार को छोड़ इस बार अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) पार्टी को जिताया. बता दें कि अनुप्रिया केंद्र की मोदी सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री हैं. बीजेपी से गठबंधन के बाद स्वार सीट अपना दल (S) के हिस्से में आई थी. इस सीट पर फतह हासिल करके आजम के आखिरी किले को भी ढहा दिया गया है.
क्यों हुआ था उपचुनाव?
दरअसल,15 साल पहले 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था. तब समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था. इस हंगामे में आजम के बेटे अब्दुल्ला समेत 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने इस मामले में हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था. मामले में अब्दुल्ला को दो साल की सजा हुई, ऐसे में उनकी विधायकी भी हाथ से फिसल गई. जिसके बाद उन्हें यूपी विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था और चुनाव आयोग ने उनकी सीट को रिक्त घोषित कर उपचुनाव करवाए थे. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, अब्दुल्ला अपनी सजा के बाद अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.
आजम खान का सियासी खेल खत्म
अब कह सकते हैं कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने आजम खां का सियासी खेल पूरी तरह से खत्म कर दिया है. क्योंकि इससे पहले रामपुर लोकसभा सीट के बाद विधानसभा क्षेत्र में भी बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूबे में यह आजम के सियासी युग का अंत है?
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