यूपी की जेलों में सज रही जरायम की दुनिया
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चित्रकूट की जिला जेल में बंदियों के बीच हुई खूनी जंग ने एक बार फिर जेल के भीतर अपराधियों के बुलंद हौसलों की ओर इशारा किया है. अपराधियों को ठिकाने लगाने के लिए यूपी की जेलें सबसे उपयुक्त जगह बन गई हैं.
उत्तर प्रदेश की जेलें किस तरह जरायम की पनाहगाह बन गई हैं, इसकी बानगी एक बार फिर दिखी. चित्रकूट की जिला जेल में शुक्रवार 14 मई को हुए खूनी खेल में सीतापुर के शार्पशूटर अपराधी अंशू दीक्षित ने पिस्टल से कुख्यात अपराधी मुकीम काला और मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली को गोलियों से भून डाला. इसके बाद अंशू कई अन्य बंदियों को बंधक बनाकर जेल से भागने की बात करता रहा लेकिन इसी बीच जिले की भारी पुलिस बल ने आकर पूरे परिसर को घेर लिया और अंदर हत्यारोपी अंशू को आत्मसमर्पण के लिए कहा. हत्यारोपी ने पुलिस टीम पर भी फायरिंग झोंक दी, जिसमें कई जवान बाल बाल बचे. इसी बीच जवाबी फायरिंग में पुलिस ने अंशू को भी ढेर कर दिया. जरायम जगत से जुड़े अपराधी अपने विरोधियों और पुलिस की एनकाउंटर से बचने के लिए सबसे सुरक्षित जेल को ही मानते हैं. हालांकि अब जेल में जिस तरह से हत्याएं और गैंगवार की घटनाएं हो रही हैं, उससे जरायम की दुनिया में छाए रहने वालों में भय और बेचैनी बढ़ गई है. जेलों के भीतर सख्ती करने के सभी दावों का अपराधियों ने मजाक बनाकर रख दिया है. 14 वर्ष पूर्व तीन मार्च 2004 को सपा सभासद बंशी यादव की वाराणसी जिला जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वारदात को अंजाम पूर्वांचल के माफिया मुन्ना बजरंगी के इशारे पर शार्प शूटर अन्नू त्रिपाठी व बाबू यादव ने दिया था. हालांकि साल भर के अंदर ही अन्नू त्रिपाठी की भी वाराणसी सेंट्रल जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अन्नू की हत्या का आरोप कुख्यात संतोष गुप्ता उर्फ किट्टू पर था. इसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ तो प्रदेश की अन्य जेलों में अब तक जारी है. नौ जुलाई 2018 को पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जिला जेल में गोली मारकर हुई हत्या ने तो जरायम जगत में खलबली मचा दी थी. पश्चिम के कुख्यात सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को अलसुबह ही गोलियों से भून दिया था. वर्ष 2015 से वर्ष 2019 के बीच सूबे की जेलों में हत्या की छह वारदात हुईं थीं. इन पांच साल में जेल की सलाखों के पीछे अलग-अलग कारणों से 2,024 बंदियों की मौत हुई थी. बीते डेढ़ साल में यह आंकड़ा और बढ़ा है. मई, 2020 में बागपत जिला जेल में बंदियों के दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ था और बंदी ऋषिपाल की हत्या कर दी गई थी. सूबे की अन्य जेलों में हत्या और हत्या के प्रयास जैसी घटनाएं अब आम हो गई हैं. मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज की चित्रकूट जेल के अंदर हुई हत्या और पश्चिम के कुख्यात मुकीम काला, अवध के कुख्यात अपराधी अंशु दीक्षित की हत्याओं ने एक बार फिर से बता दिया है कि जेल अब सुरक्षित नहीं है.More Related News
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