
युद्ध में पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किए की भी कमर तोड़ना जरूरी, बस ये 4 काम करने होंगे
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जो देश अपने द्रोण और हथियार भेजकर हमारे जवानों और सिविलियंस को निशाना बना रहा हो, जो देश हमारे दुश्मन पाकिस्तान के साथ कदम से कदम मिला रहा हो, उस देश की आर्थिक समृद्धि में हम आखिर क्यों योगदान करें ?
भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बीच जिस एक राष्ट्र ने पाकिस्तान का नैतिक, कूटनीतिक और सैन्य सभी तरीकों से साथ दिया वह भारत का कभी सगा नहीं रहा है. तुर्किए लंबे समय से कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है.दुर्भाग्य है कि इसके बावजूद भारतीयों के लिए यह देश बहुत प्रिय रहा है. पर अब समय आ गया है कि भारत और भारतीयों को अपने दुश्मनों को पहचान लेना है. आखिर जो देश अपने द्रोण और हथियार भेजकर हमारे जवानों और सिविलियंस को निशाना बना रहा हो, जो देश हमारे दुश्मन पाकिस्तान के साथ कदम से कदम मिला रहा हो, उसे भारत से युद्ध करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है उसकी आर्थिक समृद्धि में हम आखिर क्यों योगदान करें. क्यों न हम एक ऐसे देश का बहिष्कार करें जो दुनिया भर में इस्लामी टेरेरिस्टों की मदद करने के लिए कुख्यात हो चुका है. आइये देखते हैं कि क्या करने से भारतीय इस मुल्क की कमर तोड़ सकते हैं.
इसकी शुरूआत देश में हो चुकी है. पूरे देश से पिछले दिनों ऐसी खबरें आईं हैं जिसमें यह कहा गया कि बड़े पैमाने पर तुर्किए घूमने जाने वाले लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसल कराई है. तुर्किए के खिलाफ गोवा में आक्रोश देखने लायक था. गोवा में कुछ होटल और ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की नागरिकों को सेवाएं देने से इनकार कर दिया और तुर्किश एयरलाइंस के साथ साझेदारी समाप्त कर दी. सोशल मीडिया पर तुर्की के उत्पादों और पर्यटन के बहिष्कार की मांग बढ़ी है.
1- तुर्किए को आतंकवादियों का साथ देने वाला देश घोषित कराने में भारत पूरा जोर लगाए
ऐसा पहली बार नहीं है कि तुर्किए किसी आतंकवादी देश का समर्थन कर रहा था. इसके पहले भी यह देश आतंकवादी गुटों का साथ देने के लिए जाना जाता रहा है. 2011-2014 के दौरान, अमेरिकी राजदूत फ्रांसिस रिकियार्डोन सहित कुछ स्रोतों ने दावा किया कि तुर्किए ने सीरिया में अल-नुसरा फ्रंट और अहरार अल-शाम जैसे समूहों को समर्थन दिया. 2014 में, कुर्द नेताओं जैसे मेयसा अब्दो ने दावा किया कि तुर्की ने ISIS लड़ाकों और हथियारों को सीरिया-तुर्किए सीमा पर स्वतंत्र रूप से आवाजाही की अनुमति दी. कुछ अरब और सीरियाई मीडिया ने दावा किया था कि तुर्की ने उइगर तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी के लड़ाकों को सीरिया में बसने में मदद की, ताकि वे बाद में चीन के खिलाफ लड़ सकें. हालांकि ये दावे विवादास्पद हैं और स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं हुए हैं.
पर 2020 में, तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगान ने हमास के वरिष्ठ नेताओं की मेजबानी की थी ये दुनिया जानती है. तुर्की ने कथित तौर पर 12 हमास सदस्यों को तुर्की के पासपोर्ट प्रदान किए. अमेरिकी विदेश विभाग ने इस पर आपत्ति जताई, इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला कदम बताया. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तुर्किए ने हमास को तुर्की की धरती से आतंकवादी गतिविधियाँ आयोजित करने की अनुमति दी. भारत सरकार को अभियान चलाकर आतंकवादियों को समर्थन करने वाले इस देश आतंकवादी देश घोषित कराना चाहिए.
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