
मोदी सरकार के इस फैसले से नाखुश IMF चीफ, कहा-फिर से सोच लें
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान कहा कि निर्यात पर पाबंदी लगाने से अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय थोड़ कम तैयार होगा. जी7 देशों के कृषि मंत्रियों ने भी गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाने के भारत के कदम की आलोचना की .
अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने भारत से अपील की है कि वह जितनी जल्दी संभव हो सके, गेहूं के निर्यात पर लगी पाबंदी पर दोबारा विचार करे.
उन्होंने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान कहा कि निर्यात पर पाबंदी लगाने से अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं जिससे वैश्विक समुदाय इस संकट से निपटने के लिए तैयार नहीं हो पाएगा.
उन्होंने एक अंग्रेजी वेबसाइट से बातचीत में कहा, मैं भारत की सराहना करती हूं कि उसे 1.35 अरब लोगों का पेट भरने की जरूरत है. मैं समझ सकती हूं कि लू की वजह से गेहूं की उत्पादकता कम हुई है लेकिन फिर भी मैं भारत से अपील करती हूं कि वह गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करें क्योंकि और देश भी इसी नक्शेकदम पर चल सकते हैं, जिससे हम खाद्यान्न संकट से निपटने में नाकाम हो जाएंगे.
यह पूछने पर कि अगर भारत ने निर्यात पाबंदी हटा ली तो उसे कितनी मदद मिलेगी? इस पर जॉर्जिवा ने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई प्रभावित हुई है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत कितना निर्यात कर सकता है और किन-किन देशों को निर्यात कर सकता है. अगर गेहूं का निर्यात मिस्र और लेबनान जैसे देशों में किया जाता है तो यकीनन बहुत प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि ये उन देशों में शामिल हैं, जहां सप्लाई बाधित होने से सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है. मिस्र और लेबनान में न केवल भुखमरी का खतरा है बल्कि सामाजिक अशांति फैल सकती है, जिससे वैश्विक स्थिरता प्रभावित हो सकती है.
चीन के बाद गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने 13 मई को तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत ने यह फैसला लू के थपेड़ों के बीच गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने और कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया था.

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