
मोदी सरकार की अपील के बावजूद रूस-सऊदी की मनमानी, बढ़ीं भारत की मुश्किलें
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सऊदी अरब और रूस की ओर से तेल उत्पादन में की गई अतिरिक्त कटौती के बाद से कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है. कच्चे तेल की कीमत नियंत्रण में रहे इसके लिए भारत लगातार तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रहा है. लेकिन इसका कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा है.
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि ने तेल बाजार में उथल-पुथल मचा दी है. पहले तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस की ओर से तेल उत्पादन में कटौती, फिर रूस और सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमत में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है. भारत अपनी जरूरत का 87 फीसदी से ज्यादा तेल आयात से पूरा करता है. ऐसे में इसका असर भारतीय तेल बाजार पर भी पड़ा है.
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत नियंत्रण में रहे, इसके लिए भारत लगातार तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रहा है. लेकिन इसका कुछ फायदा होता दिख नहीं रहा है. तेल बाजार के दो बड़े दिग्गज सऊदी अरब और रूस ने बुधवार को कहा है कि वे साल के अंत तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे. दोनों देशों का कहना है कि वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी से तेल की कीमत बेहतर हो रही है.
ओपेक प्लस की वर्तमान नीति सहीः यूएई
रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को होने वाली बैठक से पहले ओपेक प्लस समूह के प्रमुख सदस्य देशों में से एक यूएई के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल मजरूई ने कहा था कि ओपेक प्लस की वर्तमान नीति यानी तेल उत्पादन में कटौती जारी रखने का फैसला सही है.
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने पिछले साल अक्टूबर में प्रतिदिन 20 लाख बैरल कम तेल उत्पादन करने की घोषणा की थी. लेकिन जुलाई 2023 में सऊदी अरब और रूस ने तेल उत्पादन में अतिरिक्त कटौती की घोषणा कर दी. इस घोषणा के बाद से कच्चे तेल की कीमत बहुत तेजी से 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ रही है.
मौजूदा कीमत पर तेल खरीदने में भारत सहज नहीं

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